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यूपी : बीएचयू में न्यूट्रान उत्पादन और नाभिकीय भौतिकी पर बनेगा शोध केंद्र, वहीं हो सकेंगे कई अनुसंधान कार्य।
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय न्यूट्रान जेनरेटर वाला देश का इकलौता विश्वविद्यालय है। बीएचयू को न्यूट्रान जेनरेटर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने दिया है। अब यहां फिर से नाभिकीय भौतिकी में शोध हो सकेगा। बीएचयू विविध क्षेत्रों से जुड़े अनुसंधानों में न्यूट्रान के होने वाले व्यावहारिक उपयोग का केंद्र बनेगा।
वहीं 2.45 एमईवी उत्पादन क्षमता वाली इस मशीन से न्यूट्रान विवर्तन का अध्ययन, सामग्री संशोधन और लक्षण का वर्णन किया जा सकता है, अत्यल्प मात्रा में भी उपस्थित विस्फोटकों व भूगर्भ के रहस्यों का पता लगाया जा सकेगा। इसके अलावा सामग्री विज्ञान, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, अंतरिक्ष अनुसंधान, चिकित्सा, रसायन, दवा और फोरेंसिक विज्ञान, हीरा उद्योग आदि में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधा केंद्र बनेगा।
वहीं न्यूट्रान जेनरेटर सुरक्षा की दृष्टि से काफी संवेदनशील मशीन है। इसे भौतिकी विभाग में ठोस कंक्रीट की बनी डेढ़ मीटर मोटी दीवारों वाली गोलाकार गुंबदयुक्त वीडीजी बिल्डिंग में 10 फीट गहरे खाली कुएं में रखा गया है। इसे बम बिल्डिंग भी कहते हैं। इस वीडीजी (वैन डी ग्राफ) भवन की कल्पना, डिजाइन, निर्माण और कमीशङ्क्षनग वर्ष 1972-73 में तत्कालीन नाभिकीय विज्ञानी प्रो. पीसी सूद ने की थी।
वहीं परमाणु विखंडन सहित 14 एमईवी (मेगा इलेक्ट्रान वोल्ट) उत्पादन के लिए उपयुक्त भवन की भूमि पूजा तत्कालीन कुलपति और बाद में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रहे डा. केएल श्रीमाली ने की थी। बार्क के तत्कालीन निदेशक डा. राजारमन्ना इस परियोजना के लिए बनी समिति के अध्यक्ष थे।
वहीं वीजीडी लैब के प्रभारी नाभिकीय भौतिकी विज्ञानी प्रो. एके त्यागी बताते हैं कि प्रो. सूद के जाने के बाद 1998 में यह बंद हो गया, फिर मशीन खराब हो गई। 2007 में प्रो. त्यागी जब यहां आए तो उन्होंने पुरानी मशीन को ठीक कराने के लिए विशेषज्ञ बुलाए। पता चला कि उसे बनाने में आने वाली कीमत नई मशीन के बराबर होगी।
वहीं फिर तो उन्होंने नई मशीन के लिए प्रयास 2009 से ही शुरू कर दिया। 2019 में बार्क की टीम ने दौरा करने के बाद इसे स्वीकार किया और बीच में कोरोना आ जाने से मामला अटक गया। गत 28 मार्च को बार्क के विज्ञानी और तकनीकी स्टाफ मशीन लेकर यहां पह़ुंचे और स्थापित किया।
वही प्रो. त्यागी बताते हैं कि इस मशीन से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विज्ञानी शोध कर सकेंगे। सिंगापुर की एनटीयू (नानयांग प्रोद्यौगिकी विवि) ने तो इसके लिए अभी से संपर्क भी स्थापित कर लिया है।