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यूपी : वाराणसी में गंगा की धारा में घुली चैती-ठुमरी की मिठास।
वाराणसी। सामाजिक सांस्कृतिक संस्था काशी कला कस्तूरी की ओर से गुरुवार को रामनगर में बजड़े पर चैती महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें गुलाब और गायिकी के रंग बिखरे। गुलाब जल और गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा के बीच चैती गायन का गुलदस्ता भी मुखर हुआ। ख्यात गायिका सुरचिता गुप्ता ने चैती के विविध स्वरूपों से रसिक श्रोताओं का साक्षात्कार कराया।
वहीं विगत कई दशकों में यह पहला मौका है जब किसी सांगीतिक मंच पर चैती ठुमरी का गायन किया गया। 'सुगना बोले हमरी अंटरिया हो रामा' वोल वाली यह चैती ठुमरी राग मिश्र बिलावल में निबद्ध की गई। वहीं चैता गौरी की बानगी पेश करते हुए उन्होंने 'सूतल सइयां के जगावे हो रामा' के सुर लगाए। उन्होंने राग मिश्र काफी में निबद्ध होरी ठुमरी 'उड़त अबीर गुलाल, लाली छाई है..' से गायन का आरंभ किया।
वहीं दूसरी तरफ़ 'बरजोरी करो न मुझसे होली में..' सुना कर उन्होंने श्रोताओं को होरी दादरा के अंदाज से आनंदित किया। चैती खमाज, निर्गुण चैती (घाटो), भैरवी चैती की विविधता भरी प्रस्तुति दी। श्रोताओं की फरमाइश पर शुद्ध होरी के रंग भी खूब जमाए। तबले पर ज्ञान स्वरूप मुखर्जी व हारमोनियम पर मनोहर कृष्ण श्रीवास्तव ने संगत की। उस्ताद फतेह अली खान और साथियों ने चैती महोत्सव का आगाज शहनाई की मंगल ध्वनि से किया।
वहीं गृहिणियों की गायन मंडली ने सप्तक के बैनर तले चैता 'आहो रामा चैत महिनवा में,राम जनम ले हो रामा' और पारंपरिक चैती 'चैत मासे चुनरी रंगाई द हो रामा' सुनाया। उद्घाटन उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष प्रो. राजेश्वर आचार्य ने किया। प्रो. एचएस. शुक्ला, एयरपोर्ट डायरेक्टर आर्यमा सान्याल, रामनगर पालिका की चेयरमैन रेखा शर्मा, प्रो. सुनील चौधरी, भाजपा नेता लक्ष्मण आचार्य आदि विशिष्ट अतिथि थे। संचालन काशी कला कस्तूरी की संस्थापक अध्यक्ष डा. शबनम खातून ने किया।