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यूपी : वाराणसी संकट मोचन संगीत समारोह में हनुमत दरबार में आस्था के गूंज रहे स्वर।
वाराणसी। संकट मोचन संगीत समारोह की चौथी निशा में शनिवार को सुर-लय-ताल की त्रिवेणी प्रवाहित हुई। इस दौरान आस्था के स्वरों से हनुमद दरबार गुंजायमान होता रहा और हनुमान दरबार में स्वरों से साधना भी हुई। शाम से ही दरबार में आस्था के स्वरों का नाद शुरू हुआ तो हनुमद दरबार में आस्था के सैकड़ों पग अनवरत पहुंचने लगे। हर हर महादेव के साथ जय हनुमान का उद्घोष हुआ और सुरों से साधना का क्रम शुरू हुआ तो देर रात तक आस्था में रचे पगे स्वरों के साथ कलाकारों ने समा बांध दिया।
वहीं हनुमान प्रभु के दरबार में स्वर और नाद के साथ की कदमों की थाप से शनिवार को चौथी निशा में आस्था का गान ही नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और सद्भाव का भी अनोखा संगम नजर आया। अजान के स्वरों को साधने वालों ने हनुमान दरबार में आस्था के स्वरों को साधा तो तान छेड़कर समरसता और सद्भाव को अनंत ऊंचाइयां दीं। जैसे जैसे रात गहराती गई वैसे वैसे ही सुर गंगा काशी में मानो आयोजन के जरिए आकाश गंगा का रूप लेती नजर आयी। साधकों ने सुरों को साधा तो सांस्कृतिक आयोजनों से हनुमद दरबार में अनोखा आकर्षण महसूस कर सुरों के चाहने वाले भी आस्था से ओत प्रोत हो उठे।
वहीं संकट मोचन हनुमान के दरबार में भगवान शिव के रूद्र रूप की आराधना के साथ चौथी निशा का आरंभ आठ बजे के बाद शुरू हुआ तो धार्मिक स्वरूप से मंच जीवंत हो उठा। इस दौरान रायगढ़ घराने की कथक नृत्यांगना अनुराधा सिंह ने पांच मात्रा सूल ताल में निबद्ध से शिव वंदना पर नृत्य किया। शुद्ध तीन ताल में पारंपरिक कथक के बाद श्रीराधा कृष्ण के प्रसंगों को आधारित संक्षिप्त कथानक पर भाव नृत्य किया। वहीं आयोजन में तबले पर संगत कर रहे सलीम अल्लाहवाले ने गायन और हारमोनियम वादन का जिम्मा भी साथ- साथ निभाया।