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उत्तराखंड : पौड़ी पहाड़ी क्षेत्र में चार साल बाद प्राथमिक विद्यालय के छात्रों की संख्या हुई पचास के पार।
उत्तराखंड। पौड़ी पहाड़ी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में सिमटती छात्र संख्या और इससे पैदा होते हालात किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसे दौर में पिछले चार साल से बंद पड़े राजकीय प्राथमिक विद्यालय सेडियाखाल को फिर से खोल कर स्थानीय जन प्रतिनिधि, अभिभावकों की पहल और शिक्षा विभाग का सहयोग एक नजीर बनकर सामने आया है। सुकून की बात तो यह भी है कि इसी नए शैक्षिक सत्र में इस विद्यालय में छात्र संख्या पचास के पार भी पहुंच गई है।
वहीं पौड़ी जनपद के विकासखंड पोखड़ा के अधीन आता है राजकीय प्राथमिक विद्यालय सेडियाखाल। स्थानीय जन प्रतिनिधियों के मुताबिक शून्य छात्र संख्या के चलते वर्ष 2017-18 में शिक्षा विभाग की ओर से इस विद्यालय को बंद करवा दिया गया था। दूरस्थ ग्रामीण परिवेश वाले विद्यालय पर ताले लटकने से विद्यालय भवन भी जीर्ण-शीर्ण होने लगा।
वहीं इस सब के बीच स्थानीय जन प्रतिनिधियों, अभिभावकों ने फिर से पहल शुरू करते हुए बैठक आयोजित की और बंद पड़े राप्रवि सेडियाखाल को खुलवाने को लेकर व्यापक विचार विमर्श किया। इस संबंध में प्रस्ताव बनाया गया। बीते मार्च में अभिभावकों ने अपने पाल्यों को राजकीय प्राथमिक विद्यालय सेडियाखाल में पढ़ाने की इच्छा जाहिर करते हुए प्रस्ताव को शिक्षा विभाग को प्रस्तुत किया गया।
वहीं प्राथमिक शिक्षा का भी प्रभार देख रहे जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी डा. आनन्द भारद्वाज से भेंटकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया। सीईओ डा. भारद्वाज ने क्षेत्र के विभिन्न गांवों के ग्रामीणों की इस पहल की सराहना की तथा दूरभाष पर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा से वार्ता की। स्थानीय जन प्रतिनिधियों व अभिभावकों की पहल रंग लाई तथा मुख्य शिक्षा अधिकारी डा. भारद्वाज ने उप शिक्षा अधिकारी पोखड़ा को राजकीय प्राथमिक विद्यालय सेडियाखाल में वर्ष 2022-23 में बच्चों के प्रवेश के लिए एक शिक्षक की तैनाती के निर्देश दिए।
वहीं सेडियाधार के पूर्व प्रधान मनोज नौडियाल ने बताया कि इस नए शैक्षिक सत्र में राजकीय प्राथमिक विद्यालय सेडियाखाल में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या पचास से अधिक हो गई है। चार साल बाद विद्यालय के खुलने से क्षेत्र में उत्साह है। गत दिनों ढोल दमाऊं की थाप पर विद्यालय में प्रवेश उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया।
वहीं जिसमें पूर्व में इस विद्यालय से अध्ययन कर चुके छात्रों को भी आमंत्रित किया गया था। जिस प्रकार ग्रामीण परिवेश वाले क्षेत्र में अभिभावकों, जन प्रतिनिधियों ने सरकारी शिक्षा के प्रति यह पहल शुरू की उसकी काफी सराहना भी हो रही है।