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उत्तराखंड : रुद्रप्रयाग में स्वावलंबन की ओर बढ़ रही केदारघाटी की महिलाएं।

उत्तराखंड : रुद्रप्रयाग में स्वावलंबन की ओर बढ़ रही केदारघाटी की महिलाएं।


उत्तराखंड। रुद्रप्रयाग केदारघाटी की तीन सौ से अधिक महिलाएं यात्रा सीजन के दौरान स्थानीय उत्पादों से श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद तैयार करती हैं। इससे उनकी आर्थिकी तो मजबूत हुई ही है, क्षेत्र में रोजगार का एक बेहतर विकल्प भी मिल गया है। महिलाएं बीते तीन वर्षो से प्रसाद बनाने का कार्य कर रही हैं। हालांकि, कोरोना संक्रमण के चलते विगत दो वर्षो में प्रसाद की ही बिक्री प्रभावित हुई।

वहीं केदारनाथ में वर्ष 2017 से स्थानीय उत्पादों का प्रसाद तैयार किया जा रहा है। तब तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की पहल पर जिलेभर के महिला समूहों को इस योजना से जोड़ा गया। वर्ष 2018 व 2019 में समूहों ने चार करोड़ से अधिक का प्रसाद मंदिर समिति के सहयोग से बेचा। इससे प्रत्येक महिला को 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की आमदनी हुई। 

वहीं दूसरी तरफ़ हालांकि पिछले दो वर्षों में कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा पर इसका असर पड़ा। हालांकि इसके बावजूद प्रसाद को भक्तों के घरों को भी आनलाइन भेजा गया, जिसमें अच्छी आमदनी हुई। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में केदारनाथ के प्रसाद के तीन हजार से अधिक पैकेट आनलाइन भेजे गए।

वहीं प्रसाद योजना से बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ रही हैं। जखोली, अगस्त्यमुनि व ऊखीमठ विकास खंड की महिला समूह प्रसाद योजना से जुड़ी हैं। जखोली ब्लाक के ग्राम मेधनपुर निवासी सरिता सजवाण के अनुसार उनके पति मजदूरी करते हैं। उनकी कमाई से घर का खर्चा नहीं चल पा रहा था, लेकिन प्रसाद योजना से जुड़ने के बाद अच्छी आमदनी हो जा रही है। यात्रा सीजन में वह 50 हजार रुपये से अधिक कमा लेती हैं। 

वहीं समूह की अध्यक्ष सरिता देवी बताती हैं कि प्रसाद की बिक्री से बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ रही हैं। धीरे-धीरे यह रोजगार का मजबूत आधार साबित हो रहा है। वहीं एकीकृत आजीविका महिला समूह की भावना पंवार बताती हैं कि केदारनाथ मंदिर के लिए प्रसाद बनाने के अच्छे परिणाम मिले हैं। इससे स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन और गरीब महिलाओं को रोजगार मिला है। यही वजह है कि प्रसाद योजना से जुड़ने वाली महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

वहीं प्रसाद में चौलाई के लड्डू व बिस्कुट, त्रियुगीनारायण के हवन कुंड की राख व बेलपत्र, स्थानीय धूप बत्ती, स्थानीय शहद, बेलपत्री, गंगा जल, विभूति, पीवीसी सीट पर छपे बद्री-केदार की आकृति को इसमें शामिल किया गया। स्थानीय प्रसाद की पैकेजिग के हिसाब कैरी बैग का मूल्य 250, जूट बैग का 300 एवं रिगाल की टोकरी का मूल्य 400 रुपये रखा गया है।