
वाराणसी । आबोहवा दिनोंदिन जहरीली हो रही है। गंगा घाटों पर भी स्थिति भयावह हो रही है। सामाजिक संस्था क्लाइमेट एजेंडा ने चार प्रसिद्ध गंगा घाटों पर वायु गुणवत्ता की निगरानी की तो दशाश्वमेध घाट पर हवा में सबसे ज्यादा प्रदूषण मिला।
अस्सी घाट पर वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब रहा तो केदार और पंचगंगा घाट पर तुलनात्मक तौर पर साफ़ हवा मिली।
मंगलवार को क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने बताया कि बीते सोमवार को शाम 5 से 7 बजे के बीच शहर बनारस के चार अति महत्वपूर्ण घाटों अस्सी, केदारघाट, दशाश्वमेध और पंचगंगा घाट पर कम मूल्य की छोटी लेकिन अति भरोसेमंद मशीनों का उपयोग कर निगरानी की गई। एकता शेखर ने बताया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वाराणसी इकाई को शहर में वायु प्रदूषण के वर्ष पर्यन्त बढ़े हुए स्तर की चिंता केवल तब होती है। जब देश में दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में वायु प्रदूषण पर चर्चा होती है। अगर यह विभाग वर्ष पर्यन्त सक्रिय रहता तो वाराणसी में गर्मियों के दौरान प्रदूषण की मार इतनी भयावह नहीं होती कि संस्था द्वारा अस्सी घाट पर स्थापित किया गया कृत्रिम फेफड़ा मात्र तीन दिनों में काला पड़ जाए।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत बनारस जिले को प्राप्त करोड़ों रूपए की रकम का उपयोग शहर के प्रदूषण को कम करने में किया जाना चाहिए था। ताकि वाराणसी में बच्चे, वरिष्ठ नागरिक एवं मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का असर कम हो सके। एकता ने बताया कि शहर के चार प्रतिष्ठित घाटों पर वायु गुणवत्ता की निगरानी से प्राप्त आंकड़े शहर के निजामों की आँखें खोलने की क्षमता रखते हैं।
गर्मी के मौसम में, जब की प्रदूषण का स्तर तुलनात्मक तौर पर कम रहता है, फिर भी इन चार घाटों पर हालात चिंताजनक मिले। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों को जारी करने का हमारा आशय केवल आलोचना करना नहीं है। जिलाधिकारी द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के सही तरीके से अनुपालन के लिए बनी जिला कमेटी में शामिल संस्थाओं और संगठनों को भी कुछ पहल करनी चाहिए, केवल बंद कमरों में बैठ कर अधिकारियों संग बैठकें करने से शहर का प्रदूषण कम नहीं हो सकता।