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यूपी : वाराणसी में ढाई साल में 10 फीसद काम पर यूपी के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने उठाए सवाल।

यूपी : वाराणसी में ढाई साल में 10 फीसद काम पर यूपी के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने उठाए सवाल।

                          Vinit Jaishwal City Reporter

वाराणसी। लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने कज्जाकपुरा रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) का निर्माण कार्य 10 फीसद होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए राजकीय सेतु निगम के अफसरों को कटघरे में खड़ा कर दिया। सितंबर-2019 यानि ढाई साल में मात्र 10 फीसद काम होना विभागीय लापरवाही साफ दर्शाती है। पूछने पर सेतु निगम के अभियंताओं ने बताया कि सड़क के नीचे सीवर व पेयजल पाइपलाइन, बिजली के तार और अतिक्रमण के चलते काम नहीं बढ़ पा रहे थे।

वहीं बिजली विभाग को 19 करोड़, जलनिगम को 4.73 करोड़ और जलकल संस्थान को 63 लाख रुपये दिया जा चुका है, फिर भी यह विभाग पूरा नहीं कर सके। उनकी बातों को सुनने के बाद मंत्री ने दो टूक में कहा कि समय से काम पूरा करिए। यदि कोई परेशानी है तो मुझे अवगत कराएं। मंत्री सर्किट हाउस में बुधवार को लोक निर्माण विभाग और राजकीय सेतु निगम की योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे।

वहीं मंत्री ने कहा कि फुलवरिया फोरलेन निर्माण कार्य में तेजी लाने के साथ दिसंबर तक हरहाल में पूरा करें। दोनों आरओबी का काम शुरू नहीं होने के सवाल पर सेतु निगम के अभियंता ने रेलवे से अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिलने की बात कही। कहा कि पूरी तैयारी हो चुकी है। कहा कि फुलवरिया फोरलेन के निर्माण कार्य की प्रगति की हर तीन माह में समीक्षा की जाएगी।

वहीं कार्य संतोषजनक नहीं होने पर संबंधित अभियंता के खिलाफ कार्रवाई तय हैं। सड़कों के निर्माण में धांधली या किसी तरह की लापरवाही मिलने पर संबंधित अभियंता के खिलाफ कार्रवाई तय हैं। धांधली और लापरवाही दोनों बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

वहीं मंत्री ने शहर में प्रवेश करने वाले प्रस्तावित चौड़ीकरण सड़कों के बारे में पूछा तो पीडब्ल्यूडी के अभियंता ने बताया कि पांडेयपुर से रिंग रोड और कचहरी से संदहा तक सड़क का बांड बन चुका है। मोहन सराय से कैंट, कलेक्ट्री फार्म से रिंग रोड और लहरतारा से बीएचयू वाया रविंद्रपुरी सड़क का बांड बाकी है। रामनगर से टेंगरा मोड़ तक सड़क का टेंडर निकला है। एक-एक सड़कों की समीक्षा करने बाद मंत्री ने कहा कि तय अवधि में काम पूरा होना चाहिए।

वहीं मंत्री ने कहा कि शहर के साथ ग्रामीण सड़कों को प्राथमिकता पर लें। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लेने के साथ खुद देखें कि आमजन के लिए यह सड़क कितनी जरूरी है। जरूरत पड़े तो स्थानीय लोगों से बात करें लेकिन सड़कें दुरुस्त होनी चाहिए।