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अंटार्कटिका में 4 महीने की एक रात गुजारेंगे अंतरिक्ष यात्री , माइनस 80 डिग्री सेल्सियस तापमान की होगी चुनौती
नई दिल्ली l अंटार्कटिका (Antarctica) पृथ्वी वो कोना है शेष धरती से बुल्कुल अलग है। साल में यहां 4 महीने अंधेरा ही रहता है। अंटार्कटिका इसलिए भी खास है क्योंकि स्पेस में जाने से पहले एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग के लिय यह जगह बेहत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
स्पेस में जाने से पहले यहां के कठोर वातवरण में एस्ट्रोनॉट्स खुद को ढालने का प्रयास करते हैं। इस बार यूरोपीय स्पेस एजेंसी (European Space Agency) का अंतरिक्ष यात्रियों का एक दल अंटार्कटिका के कॉन्कॉर्डिया स्टेशन भेजा गया है।
अंतरिक्ष के प्रतिकूल वातावरण में रहने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को चार महीने के लिए कॉनकॉर्डिया भेजा जाता है। यहां चार महीने पूरी तरह से अंधेरा रहता है। स्पेस यात्री यहां यह ऑब्जर्व करते हैं कि मनुष्य पृथ्वी से बिल्कुल अलग वातावरण में कैसे जीवित रहते हैं। अंटार्कटिका में कॉन्कॉर्डिया का संचलान यूरोपीय स्पेस एजेंसी करती है।
अंटार्कटिका में अंतरिक्ष यात्री स्वयं पर जैव चिकित्सा का प्रयोग करते हैं। इसके साथ ही शोधकर्ताओं को अंतरिक्ष में वातावरण की चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझने में भी आसानी होती है। Concordia में तापमान -80° सेल्सियस तक पहु्ंच जाता है। ऐसे में अंटार्कटिका में पृथ्वी पर सबसे दूरस्थ बेस कॉनकॉर्डिया में अंतरिक्ष यात्रियों की एक नई टीम अंतरिक्ष की चुनौतियों से पहले ही निपटेगी.
कॉन्कॉर्डिया स्टेशन का निर्माण फ्रेंच पोलर इस्टीट्यूट और इटैलियन अंटार्कटिका प्रोग्राम में मिलकर बनाया था और उसका संचालन कर रहे हैं। 12 सदस्यीय क्रू का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो चुका है। ये सदस्य सर्दियों भर वहीं रहेंगे.