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लखनऊ : यूपी में बिजली उपभोक्ताओं के लिए काला साबित होगा नया कानून, वहीं नियामक आयोग ने कहा पारदर्शी होना चाहिए।
लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कंज्यूमर राइट कानून 2020 के तहत गठित होने वाले विद्युत व्यथा निवारण फोरम के लिए विद्युत नियामक आयोग में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनसुनवाई की गई। प्रस्ताव पर नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह, सदस्य कौशल किशोर शर्मा और विनोद कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे।
वहीं सुनवाई में बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों सहित उपभोक्ता प्रतिनिधियों व अनेक वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भाग लिया। इसमें बताया गया कि नए कानून में यह व्यवस्था बनाई जा रही है कि विद्युत व्यथा निवारण फोरम का गठन उपखंड अधिकारी, अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता, प्रबंध निदेशक स्तर तक होना है।
वहीं उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 42 (5) के तहत विद्युत व्यथा निवारण फोरम के रेग्युलेशन सहित गठन का अधिकार राज्य के नियामक आयोगों को है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करके जो विद्युत व्यथा निवारण फोरम के गठन का प्रावधान किया गया है, वह देश के उपभोक्ताओं के लिए काला कानून साबित होगा।
वहीं उपभोक्ता जिस बिजली अभियंता से परेशान होंगे, उनको उसी के समक्ष अपील करना है, क्योंकि सभी फोरमों के अध्यक्ष हर स्तर पर उस क्षेत्र के बिजली अभियंता ही होंगे। अन्य प्रतिनिधियों ने भी अपनी बात रखी। इस पर नियामक आयोग ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद उपभोक्ता हित में पारदर्शी कानून बनाया जाएगा।