लखनऊ । राजधानी के बीकेटी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत पल्हरी, फरुखाबाद में हनुमान टेकरी सहित अन्य गांवों में सरकारी कार्यो के नाम पर मिली खनन अनुज्ञा का शक्तिशाली मिट्टी माफियाओं द्वारा खुलेआम बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है।लेकिन अधिकारियों द्वारा माफियाओं पर पिछले एक महीने से किये जा रहे कड़ी कार्रवाई के लंबे चौड़े दावों के बावजूद भी क्षेत्र के कई गांवों में स्थित विभिन्न सरकारी तालाबों में अवैध मिट्टी खनन रोकने में जिम्मेदार अधिकारी विफल रहे हैं।संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों की शह पर माफिया खुलेआम अवैध रूप से खनन कर दिनदहाड़े पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों की पूरी जानकारी में बीकेटी, इटौंजा, जानकीपुरम, सैरपुर व मड़ियांव थानाक्षेत्रों में बेचकर मोटी रकम कमा रहे हैं।
बीकेटी तहसील क्षेत्र में सरकारी कार्यों के नाम पर खनन की अनुमति लेकर माफिया स्थानीय राजनीतिज्ञों, प्रशासनिक अधिकारियों तथा पुलिस के साथ माफियाओं की मजबूत सांठगांठ कर मुख्य रूप से पल्हरी, फरुखाबाद में हनुमान टेकरी में अवैध रूप से मिट्टी खनन कर अपने निर्धारित स्थलों पर मिट्टी का गिरान न कर मिट्टी बीकेटी, इटौंजा, जानकीपुरम, सैरपुर व मड़ियांव थानाक्षेत्रों के खुले बाजार में दिनदहाड़े पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों की पूरी जानकारी में बेंच रहे हैं। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में अवैध रूप से बालू खनन के खिलाफ बहु-प्रचारित फर्जी कड़ी कार्रवाई का परिणाम मिट्टी की कीमत में तीन गुनी बढ़ोत्तरी के रूप में सामने आया है। आम आदमी के लिए अपने मकान,दुकान, फैक्ट्री निर्माण के समय मिट्टी भराव के लिए मिट्टी खरीदना अब महंगा हो रहा है।वहीं गत दिनों पहले रस्मी तौर पर, बीकेटी पुलिस ने बालू से लदे कुछ डंपरों को एकाध बार बंद किया था। फिर भी, इससे मिट्टी माफियाओं पर कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है, जो धन और बाहुबल की सहायता से सुगमतापूर्वक अपना काम बड़ी आसानी से कर रहे हैं।पुलिस द्वारा आज तक खनन माफियाओं पर की कार्रवाई के दौरान कोई भी जिम्मेदार खनन माफिया गिरफ्तार नहीं किया गया है।
लंबे समय से चल रहा अवैध रूप से मिट्टी खनन एक संगठित अपराध सिंडिकेट का उल्लेखनीय हिस्सा है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के अनुसार,खनन माफिया स्थानीय पुलिस,तहसील प्रशासन व खनन विभाग के अधिकारियों के बीच एक बड़ी सांठगांठ चल रही है। राज्य सरकार के अधिकारियों, विशेष रूप से जो पुलिस, खनन तथा परिवहन विभाग से जुडे हैं, के बीच पूरी मिलीभगत…खनन और पर्यावरण के नियम और कानून केवल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं।