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यूपी : वाराणसी के पांडेयपुर वार्ड में कई मंजिल के मकान बने हैं जिसमें न तो सीवर और न ही पक्की गली बनी।

यूपी : वाराणसी के पांडेयपुर वार्ड में कई मंजिल के मकान बने हैं जिसमें न तो सीवर और न ही पक्की गली बनी।

                          Vinit Jaishwal City Reporter

वाराणसी। वरुणापार का पांडेयपुर वार्ड जो बड़े क्षेत्रफल को समेटे हुए है। इसी वार्ड में पुराना बाजार भी है जहां पर उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा लगी है। इसी बाजार में प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय भी है जहां पर मुंशी प्रेमचंद ने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी। 

वहीं यह वार्ड वाराणसी विकास प्राधिकरण जैसी नियोजित विकास की जिम्मेदारी संभालने वाली संस्था के शिथिल कार्यशैली का आइना बन गया है। पुरानी काशी की तरह ही संकरी गलियां हैं तो उसमें कई मंजिल के मकान बने हैं जिसमें न तो सीवर है और न ही पक्की गली बनी है। यूं समझें कि यहां के रहनवारों के बेहतर जीवन की उम्मीदें जली हैं।

वहीं पवित्र गंगा को मैली करने का पाप भी यहां के निवासी ढो रहे हैं। यह जानबूझ कर नहीं हो रहा, बल्कि वार्ड के निवासियों की मजबूरी है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में घरों के शौचालय भूमिगत जल निकासी सिस्टम से जुड़े हैं जिसके माध्यम से वरुणा व गंगा मैली हो रही हैं। वार्ड के जलाशय दम तोड़ रहे हैं तो पार्क उजड़ रहे हैं। अब तक इस इलाके में स्मार्ट सिटी योजना की परछाई तक नहीं पड़ी है। 

वहीं नगर निगम, जलकल विभाग की टीम सार्वजनिक अवकाश के दिन भी सक्रिय नजर आई। हर घर कूड़ा उठान हो रहा था तो गलियों में सफाई चल रही थी। जलकल विभाग के इंजीनियर सीवर लाइन बिछाने के लिए मापी कर रहे थे। 

वहीं दूसरी तरफ़ वहां पर पहले से ही स्थानीय निवासी इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मुख्य सड़क पर करीब चार साल पहले ही सीवर लाइन बिछा दी गई है लेकिन गलियां ब्रांच लाइनों से वंचित रह गई। भूमिगत जल निकासी से ही घरों के शौचालय जुड़े हैं। ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त नहीं होने से गंदगी गली में फैल जाती है। बारिश के दिनों में पानी घरों में घुस जाता है।

वहीं इस गली में बिजली के नंगे तार से आपूर्ति होती है। भूमिगत बिजली व्यवस्था को दूर की कौड़ी है, फाइबर केबल तार की व्यवस्था भी नहीं हुई है। कमोवेश यही हाल टकटकपुर रोड स्थित प्रताप नगर कालोनी का भी था जहां पर स्थानीय लोगों ने खुद के पैसे से जल निकासी सिस्टम तैयार कराया था जिसे जल निगम ने सीवर लाइन से जोड़ दिया। 

वहीं अब विरोध के स्वर मुखर हुए तो जलकल विभाग की टीम कालोनी में पहुंची और नए सिरे से सीवर की ब्रांच लाइन बिछाने के लिए मापी की। इस कालोनी में भी लंगे तार से बिजली आपूर्ति हो रही है। खंभों पर तार के जाल नजर आते हैं। गलियों का चौका उखड़ गया है जो ठोकर बन गया है। 

वहीं सर्वाधिक हालात अनौला गांव का है जहां पर संकरी गलियां शहरी होने का अहसास ही नहीं होने देती। कुछ गलियों में पत्थर का चौका लगा है तो कुछ गांव की कच्ची सड़क ही बनी हुई है। टकटकपुर में खाली प्लाट में कचरा फेंका जा रहा है। विराट नगर कालोनी के वेद प्रकाश सिंह को बेहद नाराज हैं।

वहीं नगर निगम, जिला प्रशासन के अफसरों के साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायत कर चुके हैं। कहना है कि गलियों में पत्थर का चौका लगा है लेकिन सीवेज व ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से गंदा पानी गलियों में बहता है। बिजली के पोल क्षतिग्रस्त हैं तो अन्य सुविधाएं भी मुंह चिढ़ा रही हैं। 

वहीं गायत्री नगर कालोनी के लिए पेयजल पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया गया लेकिन मुख्य सड़क से लेकर संपर्क सड़क की खोदाई कर अपने हाल पर ही छोड़ दिया गया। पाइप लाइन का कार्य भी ठीक नहीं हुआ है जिससे लीकेज की समस्या बनी हुई है और पीने का पानी सड़क पर बहकर बर्बाद हो रहा है।

वहीं पांडेयपुर वार्ड में निजी कालोनाइजरों ने विकास के नाम पर जो ठगी की वह तो जग जाहिर है लेकिन यहां पर तो वाराणसी विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद की ओर से विकसित कालोनियों में भी दुर्दशा का ही बोलबाला है। प्रेमचंद नगर कालोनी के नाम से दो आवासी कालोनी वीडीए ने बनाई है। सड़कें ठीक नहीं हैं तो सीवेज सिस्टम बदहाल है। 

वहीं गंदगी फैली रहती है तो पार्क उजड़ गए हैं। दौलतपुर आवास विकास कालोनी वर्ष 2003 में बसाई गई लेकिन यह कालोनी भी कहीं से शहरी नहीं लगती। सीवर लाइन जाम रहता है तो खाली प्लाट में कचरा भरा रहता है। कालोनी की सड़कों पर कब्जा कर लिया गया है। दुकानों का सामान रख दिया गया है।

बता दें कि वहीं एक विशालकाय तालाब जिसे पांडेयपुर के नाम से जाना जाता है। मानसिक अस्पताल के बगल में स्थित है जिसे देखकर झील का अहसास होता है। चहुंओर कब्जा हो रहा है। यह नगर निगम की अनदेखी का परिणाम है। खास यह कि स्मार्ट सिटी योजना से आठ करोड़ रुपये तालाब के नवजीवन के लिए पास भी हो चुका है लेकिन अब तक कार्य प्रारंभ नहीं हो सका। ऐसे ही पांडेयपुर हनुमान मंदिर के सामने स्थित तालाब का भी हाल है जो अब विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है।