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यूपी : भारत की पश्चिमी-उत्तरी सीमा पर होती है परेशानी, वहीं बीएसएफ के लिए कोहरा भेदी रडार बनाएगा आइआइटी कानपुर।

यूपी : भारत की पश्चिमी-उत्तरी सीमा पर होती है परेशानी, वहीं बीएसएफ के लिए कोहरा भेदी रडार बनाएगा आइआइटी कानपुर।

                                    Renu Tiwari Reporter

कानपुर। घने कोहरे के दौरान सरहद की निगरानी आसान बनाने को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के वैज्ञानिक कोहरा भेदी रडार विकसित करने के लिए तकनीक तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल के जवानों की इससे सबसे बड़ी परेशानी दूर होगी। आइआइटी संस्थान की इन्क्यूबेटेड कंपनियों के साथ अन्य कंपनियों से भी तकनीक विकसित करने का बाबत प्रस्ताव मांगेगी।

वहीं सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सर्दी के मौसम में भारत की पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर होने वाले कोहरे के कारण सरहद की निगरानी में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कोहरे में दृश्यता शून्य होने पर पाकिस्तान के एयरोनाटिकल एंड नेविगेशनल इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों के भारतीय सीमा में घुसपैठ या तस्करी आदि गतिविधियों की आशंका रहती है।

वहीं हाल ही में रक्षा मंत्रालय के नवाचार संगठन की ओर से शुरू हुए आइडेक्स (इनोवेशन फार डिफेंस एक्सीलेंस) प्राइम कार्यक्रम में बीएसएफ ने इसे प्रमुख समस्या के तौर पर प्रस्तुत किया। लिहाजा आइआइटी के वैज्ञानिकों ने सबसे पहले सीमा की सुरक्षा में आड़े आ रही इस समस्या को दूर करने की तैयारी की है। आइआइटी का इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग कोहरा भेदी रडार को विकसित करेगा। यही

वहीं आइआइटी के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआइआइसी) के प्रो. अंकुश शर्मा के मुताबिक आइआइटी का रक्षा नवाचार संगठन के साथ एमओयू साइन हुआ है। इसके तहत सुरक्षा बलों और रक्षा प्रतिष्ठानों की प्रमुख समस्याओं को दूर करने के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत तकनीक विकसित कराने का जिम्मा आइआइटी को सौंपा गया है। सरहद की निगरानी और उनकी सुरक्षा में आ रही दिक्कतों को सबसे पहले दूर करने की दिशा में काम किया जा रहा है। विभिन्न स्टार्टअप कंपनियों से भी प्रपोजल मांगे जाएंगे।

1. व्यक्ति पर एक किमी दूर तक नजर रखी जा सकेगी।

2. वाहन पर दो किमी दूर तक रखी जा सकेगी निगाह। 

3. भीषण कोहरा होने पर भी लक्ष्य का पता लगाया जा सकेगा। 

4. व्यक्ति व वाहनों की ट्रैकिंग व पहचान करने में आसानी होगी। 

वहीं देश की पश्चिमी सीमा पर बीएसएफ को कुछ समय पहले सुरंगों का पता लगा था। ये सुरंगें जमीन के अंदर काफी गहराई में बनाई गई थीं। बीएसएफ ने इस समस्या से निपटने के लिए भी जमीन के भीतर 15 मीटर गहराई तक की सुरंगों, उसके अंदर 100 मीटर दूर तक हो रही गतिविधियों, लक्ष्य की सटीक लोकेशन, दिशा, दूरी और उसके मूवमेंट का पता लगाने के लिए तकनीक विकसित करने की मांग की है। इसके लिए भी आइआइटी जल्द काम शुरू करेगा।