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President Election Results 2022 : देश का अगला राष्ट्रपति कौन आज होगा फैसला
Presidential Election Results 2022: देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा-द्रौपदी मुर्मू या यशवंत सिन्हा... इसका पता आज शाम तक चल जाएगा. 18 जुलाई को हुए राष्ट्रपति चुनाव के वोटों की गिनती आज की जाएगी और शाम तक नतीजे घोषित हो जाएंगे.
मतगणना संसद भवन के कमरा नंबर 63 में की जाएगी. सभी राज्यों की विधानसभा से वोटों भरे बक्से संसद भवन पहुंच चुके हैं. सुबह 11 बजे से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी. इलेक्टोरल कॉलेज से होती है जीत-हार वोटों की गिनती में इलेक्टोरल कॉलेज का काफी महत्व होता है.
भारत में इसी इलेक्टोरल कॉलेज से चुनाव के नतीजे तय होते हैं. यह इलेक्टोरल कॉलेज क्या है और राष्ट्रपति चुनाव में किसी सांसद या विधायक के वोट की वैल्यू कैसे तय होती है? जानते हैं सबकुछ... राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य और सभी राज्यों की विधानसभा के सदस्य यानी सभी विधायक भी वोट डालते हैं.
लोकसभा-राज्यसभा के सदस्यों की और विधायकों की वोट वैल्यू अलग-अलग होती है. एक सांसद के वोट की वैल्यू 700 होती है तो वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है. इन्ही सांसदों और विधायकों के वोटों की वैल्यू के कुल योग को इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं. आज द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा- दोनों उम्मीदवारों में से इलेक्टोरल कॉलेज के 51 फीसदी वोट हासिल करने वाला ही जीतेगा जानिए वोटों का गणित 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसदों को और लोकसभा के 543 सदस्यों को इस बार वोट डालने की इजाजत थी.
इसके साथ ही सभी राज्यों के कुल 4 हजार से ज्यादा विधायकों को वोट डालने की अनुमति थी. इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 796 थी.इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग थी. सांसदों के वोट की क्या है वैल्यू इस बार के चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों के एक वोट की कीमत 700 थी और दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या 776 है. तो वोटों की गणित ऐसी है कि से सांसदों के सभी वोटों की वैल्यू 5,43,200 होती है.
अब अगर विधानसभा सदस्यों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू देखें तो यह 10 लाख 86 हजार 431 हो जाती है. विधायकों के वोट की कितनी है वैल्यू, जानिए उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 है वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 है. बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 है तो सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की है यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात है इसके बाद अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ है. कैसे तय होती है वोट वैल्यू इस बार के चुनाव के लिए साल 1971 में हुई जनसंख्या को आधार बनाया गया है.
अब इस चुनाव के लिए जनसंख्या का आधार 2,026 के बाद होने वाली जनगणना के बाद बदलेगा. यानी, 2031 की जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद 1971 की जगह 2031 की जनगणना के आधार पर सांसदों और विधायकों के वोट की वैल्यू तय होगी. विधायक और सांसदों का वोट वैल्यू तय करने का तरीका अलग-अलग होता है. विधायक के वोट का मूल्य तय करने के लिए सबसे पहले उस राज्य की 1971 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या को लेते हैं.
इसके बाद उस राज्य के विधायकों की संख्या को हजार से गुणा करते हैं. गुणा करने पर जो संख्या मिलती है उससे कुल जनसंख्या को भाग दे देते हैं. इसका नतीजा जो आता है वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है. जैसे साल 1971 में उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 8,38,49,905 थी तो राज्य में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं.
कुल सीटों को 1000 से गुणा करने पर हमें 403000 मिलता है. अब हम 8,38,49,905 को 403000 से भाग देते हैं तो हमें 208.06 का अंक मिलता है. इस तरह से उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 होता है. ऐसे ही सांसदों के वोट की कीमत निकालने के लिए सभी विधायकों के वोट की संख्या को जोड़ लिया जाता है और जोड़ने पर जो संख्या आती है उसे राज्यसभा और लोकसभा के कुल सांसदों की संख्या से भाग दे दिया जाता है और वही एक सांसद के वोट की कीमत होती है.
जैसे उत्तर प्रदेश के कुल 403 विधायकों के वोट की कुल कीमत 208*403 यानी 83,824 है. गुणा-भाग करने पर एक सांसद के वोट का मूल्य 700 होता है. विधायकों और सांसदों के कुल वोट को मिलाकर 'इलेक्टोरल कॉलेज' बनता है. यह संख्या 10,86,431 होती है. इस संख्या के आधे से ज्यादा वोट यानी 5,43,216 मत पाने वाले उम्मीदवार की जीत तय होती है.