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वाराणसी : ज्ञानवापी - श्रृंगार गौरी विवाद में बहस जारी रखने की अनुमति के साथ कल सुनवाई तय
वाराणसी। ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर सोमवार को जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत में दो घंटे तक बहस चली।
हिंदू पक्ष की राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 100 जजमेंट के साथ 361 पन्ने कोर्ट में पेश किए।
उन्होंने कहा कि देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां शृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी। वहां का धार्मिक स्वरूप सनातन धर्म का ही था। वर्ष 1993 में सरकार ने अचानक बैरकेडिंग लगा कर नियमित दर्शन और पूजा बंद करा दी।
इसलिए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट के प्रावधान मां शृंगार गौरी प्रकरण में लागू नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा ज्ञानवापी की किसी जमीन पर कोई दावा नहीं है। हमारा दावा सिर्फ मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है। अदालत ने शिवम गौड़ को बहस जारी रखने की अनुमति देते हुए सुनवाई की अगली तिथि 19 जुलाई नियत कर दी है।
मस्जिद पक्ष अपनी बहस पूरी कर चुका है। पिछली दो तारीखों में चार महिला वादी की ओर से उनके वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने दलील पेश की थीं। सोमवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित एक अन्य मामले की सुनवाई होगी।
विश्व हिंदू महासमिति व अभिषेक शर्मा ने अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है कि आराजी संख्या 9130 पर आदि विश्वेश्वर, शृंगार गौरी सहित कई अन्य देवी-देवता विराजमान हैं। उन्होंने इनकी पूजा-पाठ करने के अधिकार की मांग की है। साथ ही आदि विशेश्वर के आठों मंडपों को सुरक्षित करने और हिंदू धर्म में आस्था नहीं रखने वालों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग भी की है।
वक्फ की संपत्ति के नाम पर हुआ फर्जीवाडा
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में शुक्रवार को मंदिर पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाए। अदालत में उन्होंने कहा कि जिस भूखंड आराजी संख्या 9130 (विवादित परिसर) को वक्फ की संपत्ति बताई जा रही रहा उसका कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है। इस संपत्ति के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। उन्होंने वक्फ बोर्ड की अधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त दस्तावेज भी अदालत के सामने रखे। इसके साथ ही मंदिर पक्ष के वादी संख्या दो से पांच तक की दलीलें पूरी हुईं।
अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तिथि तय की है। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र (प्रार्थना पत्र सुनने योग्य है नहीं) पर हो रही सुनवाई में मंदिर पक्ष ने शुक्रवार को अपनी दलीलें जारी रखीं। उन्होंने कहा कि जिस संपत्ति को वक्फ संख्या 100 में दर्ज बताया जा रहा है उसका कोई दस्तावेज नहीं किया। इस बारे में वक्फ की अधिकारिक वेबसाइट को देखने पर पता चलता है कि इसमें संपत्ति को वक्फ करने वाले का नाम नहीं है। वक्फ रजिस्ट्रेशन नंबर भी कहीं नहीं दिखता हैं। यह संपत्ति वक्फ कब की गई इसकी कोई तिथि दर्ज नहीं है। यहां तक कि गजट नोटिफिकेशन नंबर भी नहीं है।