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वाराणसी: अखिल भारतीय शिक्षा समागम का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन , बोले काशी हमेशा ज्ञान का केंद्र रहा
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में तीन दिवसीय सम्मेलन ''अखिल भारतीय शिक्षा समागम'' का उद्घाटन किया। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि अखिल भारतीय शिक्षा समागम का ये आयोजन उस पवित्र धरती पर हो रहा है।
जहां आजादी से पहले देश की इतनी महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। ये समागम आज ऐसे समय हो रहा है, जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।
उन्होंने कहा कि अमृत काल में देश के अमृत संकल्पों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी हमारी शिक्षा व्यवस्था और युवा पीढ़ी पर है। काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं, क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र मार्ग ज्ञान को ही माना गया है। इसलिए शिक्षा और शोध का, विद्या और बोध का मंथन, जब सर्व विद्या के प्रमुख केंद्र काशी में होगा, तो इससे निकलने वाला अमृत अवश्य देश को नई दिशा देगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित सोच के दायरे से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के विचारों से जोड़ना है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में मेधा की कभी कमी नहीं रही। लेकिन दुर्भाग्य से हमें ऐसी व्यवस्था बनाकर दी गई थी, जिसमें पढ़ाई का मतलब नौकरी ही माना गया। आजादी के बाद शिक्षा नीति में थोड़ा बहुत बदलाव हुआ, लेकिन बहुत बड़ा बदलाव रह गया था। अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था कभी भी भारत के मूल स्वभाव का हिस्सा नहीं थी और न हो सकती। नए भारत के निर्माण के लिए नई व्यवस्थाओं का निर्माण, आधुनिक व्यवस्थाओं का समावेश उतना ही जरूरी है। जो पहले कभी भी नहीं हुआ, जिनकी देश पहले कभी कल्पना भी नहीं करता था, वो आज के भारत में हकीकत बन रहे हैं। आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं।
उन्होंने ने कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहाँ पहले केवल सरकार ही सब करती थी वहां अब प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए युवाओं के लिए नई दुनिया बन रही है। नई नीति में पूरा फोकस बच्चों की प्रतिभा और चॉइस के हिसाब से उन्हें skilled बनाने पर है। हमारे युवा skilled हों, confident हों, practical और calculative हो, शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है। आप सबको वर्तमान को संभालना है, आपके पहले जो करके गए हैं उसको आगे बढ़ाना है। लेकिन आज जो काम कर रहे हैं, उनको भविष्य के लिए ही सोचना होगा, व्यवस्थाएं भी भविष्य के लिए ही विकसित करनी होंगी। 29 जुलाई को राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2 साल पूरे होने वाले हैं। बड़े मंथन के बाद ये शिक्षा नीति बनाई गई है।
पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इतनी विविधताओं से भरे देश में स्वागत हो, ये अपने आप में बहुत बड़ी सिद्धि है। इन 2 वर्षों में देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में कई ठोस कदम उठा चुका है। इस दौरान quality और future readiness जैसे जरूर विषयों पर हुई वर्कशॉप ने भी बहुत मदद की है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए देश के एजुकेशन सेक्टर में एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर overhaul पर भी काम हुआ है। आज देश में बड़ी संख्या में नए कॉलेज खुल रहे हैं, नए विश्वविद्यालय खुल रहे हैं, नए IIT और IIM की स्थापना हो रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब मातृभाषा में पढ़ाई के रास्ते खोल रही है। इसी क्रम में, संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषाओं को भी आगे बढ़ाया जा रहा है।
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सहयोग से अखिल भारतीय शिक्षा समागम का आयोजन कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में इस सम्मेलन का उद्घाटन किया है।