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27 अगस्त को विशेष योग में मनाई जाएगी शनिचरी  अमावस्या जाने पढ़ें पूजा का शुभ मुहूर्त वह विधि

27 अगस्त को विशेष योग में मनाई जाएगी शनिचरी अमावस्या जाने पढ़ें पूजा का शुभ मुहूर्त वह विधि



हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि पितरों के निमित्त समर्पित है। आपको बता दें कि जब भी अमावस्या तिथि शनिवार को पड़ती है तब उसको शनिचरी अमावस्या कहा जाता है।इस साल भाद्रपद की अमावस्या 27 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है। इस अमावस्या को कुशग्रहणी भी कहा जाता है। इन दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं। जिस वजह से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। साथ ही इन योगोंं में शनिदेव की पूजा करके उनको प्रसन्न किया जा सकता है। 


बन रहे हैं 2 विशेष योग
वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 26 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से आरंभ होगी और 27 अगस्त शनिवार की दोपहर 01 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। वहीं सूर्योदय तिथि को आधार मानकर शनि अमावस्या 27 अगस्त को ही मनाई जाएगी। इसके साथ ही इस दिन पद्म और शिव नाम के दो शुभ योग भी बन रहे हैं। इन योगों में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है।


कुशाग्रही अमावस्या का महत्व
शास्त्रों में भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशाग्रही अमावस्या कहा गया है। इन दिन कुश इकट्ठा करने की परंपरा है। इस दिन कुश तोड़ना और घर लाना शुभ माना जाता है। साथ ही कुश को पूजा- पाठ में प्रयोग किया जाता है। वहीं ग्रहण के समय कुछ को खाने- पीने की चीजों में रखने से ग्रहण दोष नही लगता है। पितृ तर्पण और श्राद्ध में कुश की अंगूठी बनाकर पहनी जाती है।



ज्योतिष अनुसार जिन लोगों पर साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है। वो लोग शनि अमावस्या पर उपाय करके शनि देव को प्रसन्न कर सकते हैं।

1- शनि अमावस्या के दिन सातमुखी रुद्राक्ष को गंगाजल में धोकर धारण करें।

2- पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन पीपल पर दूध, जल और मिठाई चढ़ाने से भी लाभ मिलता है। साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे चौमुखा दीपक जलाएं।

3- इस दिन उड़द की दाल, काला कपड़ा, काले तिल और काले चने को किसी गरीब को दान देने से शनिदेव का आशीर्वाद बना रहता है।

4- शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर में जाकर मंत्र शं शनैश्चराय नम: का जप करें। साथ ही शनि चालीसा का पाठ करें।