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कानपुर , गंगा जमुना की लगातार बढ़ते जलस्तर से मंडराया बाढ़ का खतरा गांव में अलर्ट जारी किया गया
कानपुर में गंगा और यमुना नदी पूरी तरह उफान पर है। 4 गांव पूरी तरह बाढ़ के पानी में समा गए हैं। वहीं बाढ़ का पानी चढ़ने से लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया है। डाउन स्ट्रीम में बीते 10 घंटे में 34 सेमी. जलस्तर बढ़ गया है।
यमुना, बेतवा और केन नदी में उफान से कुल 537 गांव डूब गए हैं। हमीरपुर में 114 गांव, बांदा में 37 गांव, जालौन में 70 गांव, फतेहुपर में 130 गांव, औरैया में 15 गांव, इटावा में 100 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। कानपुर देहात में यमुना और सेंगुर नदी की बाढ़ में 41 गांवों का संपर्क कट गया है। वहीं गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने से फर्रुखाबाद में तटवर्ती 30 गांव पानी से घिर गए हैं।
गांवों में जारी किया गया अलर्ट
इन दिनों यमुना नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है और खतरे के निशान से तीन मीटर ऊपर बह रही है। नदी किनारे के सात जिलों में तटवर्ती 537 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। वहीं गंगा नदी का भी प्रवाह तेज हो चला है और खतरे के निशान से पौने दो मीटर की ही दूरी रह गई है, फर्रुखाबाद, कन्नौज और उन्नाव के तटवर्ती गांवों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
कानपुर में यमुना नदी उफान पर है। घाटमपुर तहसील के यमुना किनारे के गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। घाटमपुर तहसील के अमीरतेपुर, मोहटा, गड़ाथा और कई गांव टापू बन गए हैं। आलम यह है कि विद्यालय, शौचालय और घर डूबे हुए हैं। लोग जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं। मवेशियों को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं हालात बिगड़ने से लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया है।
गड़ाथा गांव में यमुना का पानी 10 फीट तक चढ़ गया है। पूरा गांव चारों तरफ पानी से घिरा गया है। लोग घरों की छतों पर डेरा डाले हुए हैं। गांव में आना-जाना सिर्फ नाव से संभव हो पा रहा है। पेड़ भी डूब गए हैं। वहीं घर, गांव, खेत सब पानी में समा गए हैं। लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट कराया जा रहा है। वहीं लोग जानवरों को भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से दूर ले जा रहे हैं।
कानपुर में सिर्फ यमुना नहीं, पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश से गंगा का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। गंगा किनारे बसे मग्गनपुरवा गांव में कटान शुरू हो गई है। वहीं, गांव वालों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। कानपुर डाउनस्ट्रीम में गंगा का जलस्तर 112.31 मीटर तक पहुंच गया है जो चेतावनी बिंदु से महज 34 सेमी. दूर है। इसके बाद गांव में रहने वाले कई लोग घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं।
सिंचाई विभाग के गेज रीडर उत्तम पाल ने केसरी न्यूज़ संवाददाता को बताया कि बीते 10 घंटों में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। बैराज के सभी 20 गेट खोल दिए गए हैं। गंगा में नरौरा से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे रविवार सुबह भी तेजी से जलस्तर बढ़ रहा है।
वहीं बाढ़ को लेकर कानपुर एडीएम फाइनेंस राजेश कुमार ने बताया कि बाढ़ के हालातों पर सतर्क निगाह रखी जा रही है। लोगों को रहने और खाने की राहत सामग्री दी जा रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए डॉक्टर्स की तैनाती की गई है।
गंगा में जब बाढ़ आती है तो कानपुर में चैनपुरवा, देवनीपुरवा, घारमखेड़ा, गंगा रामपुर, लोधवा खेड़ा, प्रतापपुर हरी गांवों के लोगों को पलायन करना पड़ता है। इसी तरह पांडु नदी में बाढ़ आने पर मेहरबान सिंह का पुरवा व आसपास के मोहल्लों के घरों में भी पानी घुसता है। बाढ़ को देखते हुए बाढ़ चौकियां स्थापित कर दी गई हैं। जरूरत पड़ने पर वहां लोगों को रखा जाएगा।