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बीजेपी ने उत्तर प्रदेश को दिया नया प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के रूप में
नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार में पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाने का एलान किया है.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने इस बारे में एक पत्र जारी बताया है कि 'बीजेपी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी ने श्री भूपेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है.ये नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी.'
भूपेंद्र सिंह चौधरी इस समय उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं. वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं और जाट वोट बैंक में उनका अच्छा दखल माना जाता है.
भूपेंद्र सिंह चौधरी ने 1991 में बीजेपी के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. इसके बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में संभल सीट पर उनका सामना मुलायम सिंह यादव से हुआ. इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
इसके बाद उन्होंने संगठन में अलग-अलग स्तर पर कई ज़िम्मेदारियों को निभाया जिनमें क्षेत्रीय मंत्री और क्षेत्रीय अध्यक्ष आदि शामिल हैं.
इसके बाद 2016 में बीजेपी ने चौधरी को एमएलसी के लिए नामित किया. और साल 2017 में सरकार बनने के बाद उन्हें पंचायती राज विभाग का अध्यक्ष बनाया गया.
वहीं, योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें एक बार फिर पंचायती राज विभाग का मंत्री बनाया गया. इस तरह उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया.
इसके बाद अब उन्हें संगठन में बड़ी ज़िम्मेदारी दी गयी है.
अमित शाह के क़रीबी?
भूपेंद्र सिंह चौधरी को अध्यक्ष बनाए जाने की ख़बर आने से पहले लखनऊ में दो अन्य नामों पर चर्चा की जा रही थी. इन दो नामों में मौजूदा उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पूर्व मंत्री श्रीकांत शर्मा का नाम शामिल था.
राजनीतिक हल्कों में ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भूपेंद्र सिंह चौधरी को अमित शाह के क़रीबी होने की वजह से ये ज़िम्मेदारी मिली है.
बीजेपी और ख़ुद नरेंद्र मोदी दलितों और पिछड़ों को लुभाने में लगे हैं. इसके साथ ही ब्राह्मण समाज मानकर चल रहा था कि इस बार उनके किसी नेता को अध्यक्ष का पद मिल सकता है.
जाटों को लुभाने के लिए तो वैसे ही उप-राष्ट्रपति बना चुके हैं. ऐसे में ये किसी की भी राजनीतिक समझ से बाहर की बात लगती है कि इन्हें क्या सोचकर अध्यक्ष पद दिया गया है. इन्हें पॉपुलर नेता भी नहीं कहा जा सकता. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि इन्हें केंद्रीय नेतृत्व की वजह से ये ज़िम्मेदारी दी गयी है. क्योंकि और कोई वजह समझ नहीं आती है."