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अरुणाचल प्रदेश को टारगेट कर रहा चीन! बॉर्डर एरिया के पास जारी है कंस्ट्रक्शन

अरुणाचल प्रदेश को टारगेट कर रहा चीन! बॉर्डर एरिया के पास जारी है कंस्ट्रक्शन



अरुणाचल प्रदेश l बॉर्डर एरिया के पास फिर एक बार चीन सेना की गतिविधि देखी गई है. एक वीडियो सामने आया है जिसमें दावा किया जा रहा है कि चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश में सीमा के पास कंस्ट्रक्शन कर रही है. इलाके में कंस्ट्रक्शन में काम आने वाली भारी मशीनों को काम करते हुए देखा गया है. राज्य के अनजाव जिले के स्थानीय लोगों ने इसका वीडियो भी बनाया.

खबर ऐसे समय में सामने आई है जब पिछले दिनों ही रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने दावा किया था कि चीन भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश को भी टारगेट कर सकता है. ब्रह्म चेलानी ने एक जापानी अखबार को इंटरव्यू दिया था.उन्होंने कहा था कि भारत को ताइवान के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने की जरूरत है. उनके अनुसार चीन ताइवान के बाद अरुणाचल प्रदेश को निशाना बना सकता है. भारत की सुरक्षा के लिए ताइवान की रक्षा करना जरूरी है.

वहीं चीन की ओर से कई बार अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में घुसपैठ की साजिश को अंजाम देने की कोशिश की गई है. चीन इन इलाकों पर कब्जा करना चाहता है, यही वजह है कि वह बार-बार ऐसी हरकतों को अंजाम देता है. हालांकि भारतीय सेना लगातार ऐसी साजिशों का मुंहतोड़ जवाब दे रही है.

चीन ने साधा था भारत पर निशाना

वहीं दूसरी ओर भारत पर परोक्ष निशाना साधते हुए चीन ने शुक्रवार को कहा कि बिना किसी साक्ष्य के तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर आधारित बाहरी अवरोध श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह हस्तक्षेप है.

चीन के बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह निगरानी पोत युआन वांग 5 के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालने पर भारत की आपत्ति की ओर इशारा करते हुए श्रीलंका में चीन के राजदूत की झेनहोंग ने एक बयान में कहा कि चीन इस बात से खुश है कि मामला निपट गया है और बीजिंग तथा कोलंबो संयुक्त रूप से एक दूसरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा करते हैं.

बयान में सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया गया है लेकिन कहा गया, कुछ ताकतों की ओर से बिना प्रमाण के तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर आधारित बाहरी अवरोध वस्तुत: श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह हस्तक्षेप हैं.

भारत ने चीन के इन आक्षेपों को खारिज कर दिया था कि नयी दिल्ली ने कोलंबो पर दबाव बनाया था कि चीन के एक अनुसंधान पोत को श्रीलंकाई बंदरगाह हंबनटोटा नहीं आने दिया जाए, लेकिन भारत ने कहा था कि वह अपनी सुरक्षा चिंताओं के आधार पर फैसले लेगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 12 अगस्त को नयी दिल्ली में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था, हम बयान में भारत के बारे में आक्षेपों को खारिज करते हैं. श्रीलंका एक संप्रभु देश है और अपने स्वतंत्र निर्णय लेता है.

बागची ने कहा कि जहां तक भारत-श्रीलंका संबंधों का सवाल है, आपको मालूम है कि हमारी पड़ोस प्रथम नीति के केंद्र में श्रीलंका है.

गौरतलब है कि चीन के बैलिस्टिक मिसाइल एवं उपग्रह निगरानी पोत युआन वांग 5 को 11 अगस्त को हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचना था लेकिन भारत की सुरक्षा चिंताओं के बाद श्रीलंकाई अधिकारियों की अनुमति नहीं मिलने के कारण इसके पहुंचने में देरी हुई