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उत्तर प्रदेश डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के सुर और नजरिया एक ही हफ्ते में सरकार और संगठन के प्रति कैसे और क्यों बदल गए जाने और पढ़ें
उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बनने की चर्चाओं के बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा था कि संगठन सरकार से बड़ा होता है. इस बयान के बाद तमाम तरह की सियासी अटकलें लगाई जाने लगी थी.लेकिन, बीजेपी यूपी अध्यक्ष के तौर पर भूपेंद्र सिंह चौधरी की ताजपोशी होने के साथ ही केशव प्रसाद मौर्य के सुर भी बदल गए हैं और अब वो संगठन और सरकार को एक दूसरे का पूरक बता रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि केशव मौर्य ने आखिर क्यों यूटर्न ले लिया है?
केशव मौर्य के बदले सुर और नजरिया
यूपी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भूपेंद्र सिंह चौधरी ने सोमवार को कार्यभार ग्रहण कर लिया. इस मौके पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संगठन और सरकार एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं, जिनका काम एक साथ चलना और सरकार के कामों को आगे बढ़ाना है. वहीं, इससे पहले उन्होंने कहा था कि संगठन सरकार से बड़ा होता है.
केशव के साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी अपनी ताजपोशी के दौरान इस बात को दोहराया कि सरकार ही संगठन का एजेंडा पूरा करती है. कार्यकर्ता के एजेंडे पर ही उनकी सरकार काम करेगी. वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी साफ तौर पर कहा कि संगठन के एजेंडे पर ही सरकार काम कर रही है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि सूबे में बीजेपी के संगठन और योगी सरकार के बीच सामंजस्य पहले से बेहतर रहेगा.
चौधरी भूपेंद्र सिंह के स्वागत समारोह कार्यक्रम में केशव प्रसाद मौर्य का अंदाज बदला-बदला नजर आया. केशव मौर्य ने अपने भाषण में सिर्फ सीएम योगी आदित्यनाथ के कामकाज तारीफ नहीं की बल्कि संगठन को सरकार से बड़ा बताने के बजाय कहा कि दोनों ही एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं. वहीं, प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने संगठन के पाले में खड़े रहते हुए स्पष्ट कर दिया कि यहां कोई छोटा और बड़ा नहीं है. कार्यकर्ताओं के एजेंडे पर सरकार जरूर चलेगी, मगर नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही होगा.
चौधरी ने कहा कि बीजेपी की ताकत यही है, यहां कोई बड़ा छोटा नहीं है. सभी ने योगदान दिया है. कोई विशेष योग्यता नहीं है, सिर्फ काम है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने मेरे जैसे व्यक्ति को सरकार में मंत्री बनाया और अब ये बड़ी ज़िम्मेदारी दी. लोगों ने पूछा की सरकार और संगठन में समन्वय करेंगे तो मैं कहता हूं कि समन्वय कैसा? हमारी ही तो सरकार है. ये भाजपा की पांचवीं पीढ़ी है जो विचारधारा पर चल रही है. ऐसे में उन्होंने साफ कर दिया कि सरकार संगठन के एजेंडे को पूरा करते हुए वो आगे बढ़ेंगे.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो एक बार हाईकमान ने जिसे प्रदेश अध्यक्ष तय कर दिया तो केशव मौर्य ने भी उसे मान लिया. वैसे भी नए अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी संगठन के आदमी माने जाते हैं. जो 6 साल से योगी मंत्रिमंडल में रहते हुए भी उन पर किसी के करीबी होने या फिर से के गुट में होने की कोई चर्चा कभी नहीं रही.केशव मौर्य के बदले रुख की वजह अब साफ है. संगठन का एक शख्स सरकार से निकलकर वापस संगठन में चला गया और संगठन और सरकार में संगठन ऊपर माना गया तो केशव मौर्य का रुख ही बदल गया. हालांकि इस संगठन की सर्वोच्चता सभी मानते हैं. स्वतंत्र देव सिंह ने और नए अध्यक्ष ने भी कहा कि संगठन से ही सरकार होती है और संगठन के एजेंडे को सरकार लागू करेगी.
वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वतंत्र देव सिंह के बहाने सियासी संदेश देने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र देव सिंह तीन वर्ष तीन माह प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. वे रात में भी सफर करते थे. सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय बनाए रखा. जब तक केंद्रीय नेतृत्व का आदेश हुआ, तब वे काम करते रहे. संगठन की मेहनत से 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र देव सिंह ने परिवहन मंत्री के तौर पर बढ़िया काम किया. कुंभ में पांच हजार बसें भिजवाने का काम किया. साथ ही कहा कि संगठन के एजेंडे पर ही सरकार काम कर रही है. इस तरह बताने की कोशिश की है कि सरकार किसी भी तरह से बीजेपी संगठन से अलग नहीं चल रही है.
इनपुट वरिष्ठ संवाददाता पत्रकार
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