National
Independence Day 2022: परिवारवाद, अनुसंधान और महिलाओं का सम्मान...आजादी के 75 साल पर पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें
PM Modi Independence Day Speech: पीएम मोदी ने आजादी के 75 वर्ष के मौके पर देश को लाल किले से संबोधित किया. अपने भाषण में पीएम मोदी ने भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और महिलाओं के सम्मान की बात की. पीएम मोदी भाषण से पहले राजघाट गए, जहां उन्होंने राष्ट्रपति महात्मा गांधी को नमन किया. इसके बाद लाल किले पर झंडा फहराया और फिर राष्ट्रगान के बाद अपना भाषण शुरू किया. आइए आपको आजादी के 75 वर्ष के मौके पर पीएम मोदी के भाषण की 75 बातें बताते हैं.
भाषण की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं. बहुत-बहुत बधाई. मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो. आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है.
ये देश का सौभाग्य रहा है कि आजादी की जंग के कई रूप रहे हैं. उसमें एक रूप वो भी था जिसमें नारायण गुरु हो, स्वामी विवेकानंद हों, महर्षि अरविंदो हों, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर हों, ऐसे अनेक महापुरूष हिंदुस्तान के हर कोने में भारत की चेतना को जगाते रहे.
पीएम मोदी ने कहा, देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद, अश्फाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी.
हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था. आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया.
नौंवी बार लाल किले से देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, भारत लोकतंत्र की जननी है. मदर ऑफ डेमोक्रेसी है, जिनके ज़हन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं. वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आती है ये मदर ऑफ डेमोक्रेसी.
83 मिनट के भाषण में उन्होंने कहा, भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास ये अनमोल सामर्थ्य है. 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षाएं, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए. आज़ादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला.
पीएम मोदी ने कहा, मैं लाल किले से अपनी एक पीड़ा से बताना चाहता हूं. मैं इसे कहे बिना नहीं रह सकता. शायद ये लालकिले का विषय नहीं हो सकता. लेकिन मेरे भीतर का दर्द मैं कहां कहूं. देशवासियों के सामने नहीं कहूंगा तो कहां कहूंगा और वो है कि किसी ना किसी कारण से हमारे अंदर एक विकृति आई है, हमारे बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में, हम नारी का अपमान करते हैं. क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं. नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है. ये सामर्थ्य मैं देख रहा हूं.'
इस दौरान पीएम मोदी ने बताया कि जब भारत की आजादी के 100 साल पूरे होंगे तो अगले 25 साल के लिए भारत का क्या रोडमैप होना चाहिए. इसके लिए उन्होंने 5 प्रण का जिक्र किया.
पीएम ने कहा, पहला प्रण- अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए. दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना.
तीसरी प्रण- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए. चौथा प्रण है- एकता और एकजुटता. पांचवां प्रण है- नागरिकों का कर्तव्य, इसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, राष्ट्रपति भी बाहर नहीं है.
उन्होंने कहा, आने वाले 25 साल के लिए हमें उन पांच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा. 2047 जब आज़ादी के 100 साल होंगे, आज़ादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा.
जब तनाव की बात होती है तो लोगों को योग दिखता है, सामूहिक तनाव की बात होती है तो भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है.
संयुक्त परिवार की एक पूंजी सदियों से हमारी माताओं के त्याग बलिदान के कारण परिवार नाम की जो व्यवस्था विकसित हुई, ये हमारी विरासत है जिसपर हम गर्व करते हैं.
हम जीव में भी शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं... ये हमारा सामर्थ्य है, जब विश्व के सामने खुद गर्व करेंगे तो दुनिया करेगी.
पीएम मोदी ने कहा, हमने देखा है कि कभी कभी हमारी प्रतिभा भाषा के बंधनों में बंध जाती है. ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है. हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए.
जो लोग पिछली सरकारों में देश को लूटकर भाग गए, उनकी संपत्तियां ज़ब्त करके वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं. हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है उन्हें लौटाना पड़े वो स्थिति हम पैदा कर रहे हैं. हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं.
उन्होंने कहा, मैं भाई भतीजावाद, परिवारवाद की बात करता हूं तो लोगों को लगता है मैं सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र की बात कर रहा हूं. दुर्भाग्य से राजनीति की इस बुराई ने हिन्दुस्तान की सभी संस्थाओं में परिवारवाद को पोषित कर दिया है. इससे मेरे देश की प्रतिभा को नुकसान होता है.
कल यानी 14 अगस्त को हमने विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस मनाया. हमने भारी मन से उन लोगों को याद किया, जिन्होंने तिरंगे के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया.
अमृत महोत्सव के दौरान देशवासियों ने देश के हर कोने में लक्ष्यावधि कार्यक्रम किए. शायद इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्सव मनाया गया हो. वो शायद एक पहली घटना हुई है.
उन्होंने कहा, आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो पिछले 75 साल में देश के लिए जीने-मरने वाले, देश की सुरक्षा करने वाले, देश के संकल्पों को पूरा करने वाले चाहे सेना के जवान हों,पुलिसकर्मी हों, जन प्रतिनिधि हों, स्थानीय स्वराज की संस्थाओं के प्रशासक रहे हों.
आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है. समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है. विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है.
अमृतकाल का पहला प्रभात एस्पिरेशनल सोसाइटी की आकांक्षा को पूरा करने का सुनहरा अवसर है. हमारे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है.
75 साल में आज इन सबको और देश के कोटि-कोटि नागरिकों को, जिन्होंने 75 साल में अनेक कठिनाइयों के बीच भी देश को आगे बढ़ाने के लिए अपने से जो हो सका, वो करने का प्रयास किया है, को स्मरण करने का दिन है.
पीएम मोदी ने कहा, कोरोना के कालखंड में दुनिया वैक्सीन लेने या न लेने की उलझन में जी रही थी. उस समय हमारे देश के लोगों ने 200 करोड़ डोज लेकर दुनिया को चौंका देने वाला काम करके दिखाया.
अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं.
पीएम मोदी आगे कहा, जिस तरह से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है. भारत की धरती से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है.
-हम खाड़ी देशों के तेल पर अत्यधिक निर्भर थे. हमने पेट्रोल में 10% एथेनॉल मिलाने की योजना बनाई है. ऐसा लगता था कि इसे पूरा करना मुश्किल काम है. हालांकि, हमने समय से पहले ही पेट्रोल के साथ इथेनॉल का मिश्रण हासिल कर लिया था.
पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था. अटल बिहारी वाजपेयी ने उसमें जय विज्ञान का नारा जोड़ा. अब इसमें जय अनुसंधान भी जोड़ना है.
प्रधानमंत्री ने कहा, आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है. ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है. इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है.
आज दुनिया होलिस्टिक हेल्थकेयर की बात कर रही है. जब वे समग्र स्वास्थ्य देखभाल का जिक्र करते हैं तो वे भारत के योग और आयुर्वेद को देखते हैं. यह वह विरासत है जो हम दुनिया को दे रहे हैं.
लालकिले से पीएम ने कहा, आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है. आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है, ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है.