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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला : हिंदुओं के पक्ष में फैसला 1999 संसद कानून के खिलाफ मुस्लिम पक्षकार के वकील मेराज उद्दीन सिद्दीकी का बयान

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला : हिंदुओं के पक्ष में फैसला 1999 संसद कानून के खिलाफ मुस्लिम पक्षकार के वकील मेराज उद्दीन सिद्दीकी का बयान


ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट के फैसले से नाराज मुस्लिम पक्षकार के वकील मेराजुद्दीन सिद्दिकी ने अदालत पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि यह फैसला न्यायोचित नहीं है.उन्होंने कहा, 'हम फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. 

जज साहब ने फैसला 1991 के संसद के कानून को दरकिनार कर दिया है. ऊपरी अदालत के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं. न्यायपालिका आपकी है. आप संसद के नियम को नहीं मानेंगे. सब लोग बिक गए हैं.'

दरअसल, वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद तथा श्रृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सोमवार को जिला जज की कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.

 वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को लेकर दायर मुकदमा नंबर 693/2021 (18/2022) राखी सिंह (व अन्य) बनाम उत्तर प्रदेश राज्य सरकार मामले में वाराणसी के जिला जज ने कहा कि उपरोक्त मुकदमा कोर्ट में चलने योग्य है. कोर्ट ने इसके साथ ही प्रतिवादी संख्या चार अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के 7/11 के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को की जाएगी.

फैसला सुनने के बाद एक तरफ हिंदू पक्ष खुशी से झूम पड़ा तो दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद-मस्जिद प्रबंधन समिति के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि वह जिला जज के इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट जाएंगे. वहीं, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने कोर्ट के इस फैसले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.

 उधर, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, 'कोर्ट ने हमारी बहस को मान लिया है. मुस्लिम पक्ष के आवेदन को रद कर दिया गया है. कोर्ट ने कहा है कि याचिका सुनवाई योग्य है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.

हिंदू पक्ष की याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अदालत के फैसले से संपूर्ण देश खुश है. हिंदू भाइयों और बहनों से विनती है कि आज फैसले के जश्न में अपने घरों में घी के दीये जलायें, शंख और नगाड़े बजाने के साथ ही हर-हर महादेव के नारे भी लगाएं. वहीं अदालत का फैसला आने के बाद कचहरी परिसर में हर-हर बम-बम और हर हर महादेव का उद्घोष काफी देर तक गूंजता रहा.