Uttar Pradesh
यूपी : राजधानी के ऐशबाग रामलीला समिति ने " मैं मधु " उपन्यास का किया लोकार्पण "
लखनऊ । वरिष्ठ उपन्यासकार डा. महेन्द्र भीष्म ने कहा कि लेखिका सलोनी सौरभ का उपन्यास 'मैं मधु ' में प्रारम्भ में विचलन है लेकिन आगे यह उपन्यास सकारात्मकता लिये सुखान्त होता है।
एक परित्यक्ता स्त्री और पुरुष के भविष्य का जीवन दुरुह होता है, ऐसे जीवन को सुगम बनाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि धैर्य, सहनशीलता और क्षमाशील होने से यह समस्या हल हो सकती है । उन्होंने यह विचार रविवार को उपन्यासकार सलोनी सौरभ के प्रकाशित उपन्यास 'मैं मधु 'के लोकार्पण अवसर पर व्यक्त किया।
लोकार्पण कार्यक्रम श्री रामलीला समिति ऐशबाग तुलसी शोध संस्थान एवं अमृतायन संस्था के संयुक्त तत्वावधान में तुलसी सभागार में हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ उपान्यासकार डॉ महेंद्र भीष्म, विशिष्ट अतिथि डॉ वरिष्ठ समीक्षक विनय दास, श्रीरामलीला समिति के महामंत्री पं आदित्य द्विवेदी, अध्यक्ष हरीश चन्द अग्रवाल, उपन्यास का लोकार्पण किया।
समारोह में विशिष्ट अतिथि विनय दास ने कहा कि सलोनी सौरभ का उपन्यास एक भारतीय नारी के संघर्ष और व्यथा का पठनीय आख्यान है। मधु का दूसरे के बच्चों को अपना लेना और स्वयं को मातृत्व सुख से विमुख करके सतीश और उसके दोनो बच्चों के लिए पूर्ण समर्पित हो जाना भारतीय नारी के आदर्शों को प्रस्तुत करता है।
अकबाल बहादुर राही ने अपने सम्बोधन में कहा की सलोनी सौरभ के 'मैं मधु 'उपन्यास एक उत्कृष्ट उपन्यास है। इस उपन्यास से समाज को आत्म संयम, संघर्स, दूसरे बच्चों से भी प्रेम करने की सीख मिलती है। यह उपन्यास सुखान्त है, सुखद अनुभूति देता है।
समारोह में पं आदित्य द्विवेदी ने कहा कि यह उपन्यास अन्तर्मन को उद्वेलित करता है। डॉ अशोक अज्ञानी ने कहा कि यह कृति बुराई से अच्छाई की ओर ले जाती है।
डॉ अरविन्द झा के संयोजन मे अनेक वरिष्ठ कवियों ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को आह्लादित किया। इस अवसर पर रेणू वर्मा, डॉ दिनेश जायसवाल, सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा तमाम साहित्यसुधी श्रोता उपस्थित थे।