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वाराणसी प्रयागराज गंगा के जलस्तर में आई कमी काशी वासियों को गंदगी व बीमारियों का डर सताने लगा
गंगा की बाढ़ अब धीरे-धीरे उतरने लगी है। जलस्तर में छह सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से कमी आ रही है। बाढ़ उतरने के साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की दुश्वारियां भी बढ़ने लगी हैं।
गुरुवार को जलस्तर में कमी आने से कई इलाकों से पानी उतरने लगा है। बुधवार शाम को जलस्तर में कमी आने के बाद सामनेघाट का मार्ग भी खुल गया।
प्रयागराज के बाद काशी में भी गंगा का रौद्र रूप अब धीरे-धीरे शांत हो रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गुरुवार सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 71.20 मीटर दर्ज किया गया। बीते 14 घंटे में जलस्तर में 50 सेंटीमीटर से अधिक की कमी आई है। इसके कारण कई इलाकों में पानी अब धीरे-धीरे निकलने लगा है और अपने पीछे गंदगी, गाद और दुश्वारियां छोड़ता जा रहा है।
गंगा व वरुणा के बाढ़ से प्रभावित आबादी की मुश्किलें जस की तस हैं। शहरी इलाकों में पानी बहुत अंदर तक घुसा हुआ है। दशाश्वमेध की सड़क और उससे लगायत बंगाली टोला गली, संकटमोचन, छित्तनपुरा, राजापुरा, अस्सी, नगवां, सामनेघाट, मारूतिनगर में सड़क व कॉलोनियों में बाढ़ का पानी पहुंचने से आवागमन भी बाधित हो चुका है।
नगवां नाला से होते हुए बाढ़ का पानी अस्सी नदी के किनारे बसी कॉलोनियों व मोहल्लों में घुसा हुआ है। गंगा तटवर्ती इलाकों में तालाबों का जलस्तर भी ऊपर आ गया है। पानी से घिर चुकी कॉलोनियों में रह रहे लोगों को राशन व पानी का संकट बरकरार है।
ग्रामीण इलाकों में पलायन से राहत, पेयजल का संकट वरुणा पार ढेलवरिया, नक्खीघाट, बघवानाला, सरैया, सरायमोहाना मोहल्लों में प्रभावित लोगों की दिक्कतें अभी ज्यादा हैं। इन क्षेत्रों में भोजन, पीने का शुद्ध पानी और दवाओं की जरूरत है। पानी घटने से ग्रामीण इलाकों में पलायन से राहत मिली है लेकिन पेयजल संकट की परेशानी बनी हुई है। लगभग आधा दर्जन गांवों का संपर्क कटने से लोगों को पानी में घुसकर जाना पड़ रहा है। बाढ़ के पानी से कुआं, हैंडपंप और सबमर्सिबल पंप का पानी प्रदूषित होने से लोगों को संक्रामक बीमारियों का डर सता रहा है।