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वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की किरकिरी, हत्या के मुकदमे में 18 दिन में ही लगा दिया गया फाइनल रिपोर्ट, सीजेएम ने किया अस्वीकृत

वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस की किरकिरी, हत्या के मुकदमे में 18 दिन में ही लगा दिया गया फाइनल रिपोर्ट, सीजेएम ने किया अस्वीकृत





एजेंसी डेस्क : वाराणसी। मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी में जुटे छात्र नितेश मिश्रा की हत्या मामले में भेलूपुर थाने में दर्ज मुकदमे में पुलिस ने अनावश्यक जल्दबाजी दिखाते हुए 18 दिन में ही फाइनल रिपोर्ट लगा दी और आरोपितों को क्लीन चिट भी दे दी।

इससे नाराज मृत नितेश के परिजनों ने वाराणसी जिला अदालत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां अपने अधिवक्ता रितेश मौर्य के द्वारा प्रोटेस्ट दाखिल किया। जिस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शनिवार को पुलिस द्वारा दाखिल फाइनल रिपोर्ट को अस्वीकृत करते हुए केस के पुनः विवेचना करने का आदेश दिया।

गौरतलब हो कि प्रतापगढ़ जिले की पट्टी कोतवाली क्षेत्र के शेषपुर अठगवां गांव निवासी धर्मेंद्र मिश्रा का 20 वर्षीय इकलौता पुत्र नितेश मिश्रा वाराणसी भेलूपुर थाना क्षेत्र के सुंदरपुर शुकुलपुरा में किराए के मकान में रहकर नीट परीक्षा की तैयारी कर रहा था। बीती 12 जुलाई की शाम उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक नितेश के चाचा रविंद्र मिश्रा की तहरीर पर पुलिस ने आठ दिन बाद 20 जुलाई को भेलूपुर थाने में 11 नामजद व एक अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया।

रविन्द्र मिश्रा का आरोप है कि भेलूपुर पुलिस ने बगैर ठोस तथ्यों की जांच किए ही मात्र 18 दिन के भीतर फाइनल रिपोर्ट लगाकर न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। पीड़ित परिवार ने न्यायालय पर भरोसा जताते हुए कहा कि अदालत से ही हमें न्याय मिलने की उम्मीद है। 

रविन्द्र मिश्र ने आरोप लगाया कि वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस पहले से ही हत्या के मामले में खेल कर रही थी। जैसे तहरीर न लेना, फिर आठ दिन बाद मुकदमा दर्ज करना, वादी मुकदमा का बयान ठीक से न लेना तथा केस से संबंधित और किसी का बयान न लेना, फॉरेंसिक जांच लखनऊ की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केस से संबंधित सभी का नार्को कराया जाएं। 

इन सब के बावजूद विवेचक द्वारा किसी भी साक्ष्य व सबूत की जरूरत नहीं समझी और मात्र 18 दिन में ही फाइनल रिपोर्ट लगा दिया था। इस मामले में विवेचना बदलवाने के लिए कमिश्नरेट के कई उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया गया। लेकिन भेलूपुर थाने से विवेचना नहीं हटाई गई। पीड़ित पक्ष ने भेलूपुर थाने के इंस्पेक्टर/विवेचक रमाकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाया है।

रविन्द्र मिश्रा ने बताया कि थाने से विवेचना बदलवाने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की थी।जिस पर डीजीपी ने 16 अगस्त को पुलिस आयुक्त वाराणसी को विवेचना बदलने का आदेश दिया। इसके बावजूद भी वाराणसी पुलिस के उच्चाधिकारी ने विवेचना नहीं बदली। बल्कि 18 अगस्त को विवेचक ने न्यायालय में फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दिया। परिजनो के अनुसार आखिर हत्या जैसे मामले में विवेचक के ऊपर आरोप लगने के बावजूद पुलिस के उच्चाधिकारियों ने विवेचना क्यों नहीं बदली।

परिजनों के संदेह का ठोस वजह,

चालीस फीट की ऊंचाई से गिरने पर नीतेश के शरीर की हड्डियां नहीं टूटी, उसके मोबाइल फोन में खरोंच तक नहीं, मकान मालिक ने घरवालों, पुलिस, तथा एम्बुलेंस को सूचना नहीं दिया, प्लास्टिक का एयर फोन कैसे टूटा, घटनास्थल पर परिजनों के पहुंचने से पहले राख क्यों डाली गई, घटनास्थल पर घड़ी, चश्मा, चप्पल मौजूद नहीं था, नीतेश के कमरे का विस्तार अस्त व्यस्त था, 

भेलूपुर पुलिस ने क्यों नहीं ली पीड़ित की तहरीर,आठ दिन बाद पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा, फोरेंसिक जांच रिपोर्ट में नार्को टेस्ट की सलाह है तो आरोपितों का क्यों नहीं कराया गया, आरोपितो की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई,कई प्रार्थना पत्र देने के बावजूद विवेचना क्यों नहीं बदली गई,। 

डीजीपी के आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ, वादी मुकदमा के बयान के बाद मृतक के पिता व उसके दोस्त का बयान क्यों नहीं लिया गया, हत्या जैसे मामले में पुलिस ने 18 दिन में कैसे फाइनल रिपोर्ट लगा दिया। ऐसे तमाम साक्ष्य व सबूत को विवेचक ने अपनी विवेचना में शामिल नहीं किया यह एक बड़ा सवाल है।