Astrology
शरद पूर्णिमा 2022: इस बार 9 अक्टूबर को पड़ेगी शरद पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
शरद पूर्णिमा स्पेशल,,
शरद पूर्णिमा पर्व 9 अक्टूबर, रविवार को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं।हिन्दू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है।
शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाई जाती है और खीर को खाने से पहले चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। उसके बाद इसका सेवन किया जाता है।
मान्यता है कि आश्विन पूर्णिमा की रात में चंद्रमा के प्रकाश के नीचे खीर को रखने से खीर में अमृत के गुण समा जाते हैं जिसके सेवन करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
इस दिन होती है कोजापुर पूजा
शरद पूर्णिमा के दिन कोजागर पूजा का विधान है। इसमें मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कोजागर पूजा का पर्व पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और उड़ीसा में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
यह तिथि ऋतु परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण मना जाती है। शरद पू्र्णिमा से ही सर्दियों की शुरूआत हो जाती है।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि शुरू - 9 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, जलकुंड में स्नान ध्यान करना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो पाए तो आप नहाने के जल में थोड़ा गंगाजल डालकर नहा सकते हैं। अब पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें एक चौकी रखें और चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इस चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। मां को धूप, दीप, नैवेद्य और सुपारी आदि अर्पित करें। इसके बाद लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। शाम को भगवान विष्णु जी की भी पूजा करें और तुलसी के समक्ष दीपक जलाएं। चंद्र देव को अर्घ्य दें। खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। कुछ घंटों के बाद उस खीर को प्रसाद के रूप बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
शरद पूर्णिमा का महत्व
आश्विन पूर्णिमा तिथि की विशेषता यह है कि इसी दिन से सर्दियों की शुरूआत होने लगती है। धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। इस कारण शरद पूर्णिमा को धनदायक पूर्णिमा तिथि भी माना जाता है। यह चंद्रमा से अमृत वर्षा के साथ साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद पाने का दिन है।