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दिवाली विशेष 2022 : कौन थीं भगवान राम की बहन, जानें क्यों रामायण में नहीं हुआ उनका जिक्र?

दिवाली विशेष 2022 : कौन थीं भगवान राम की बहन, जानें क्यों रामायण में नहीं हुआ उनका जिक्र?



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एजेंसी डेस्क : भगवान राम जब 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे तो इस खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरी नगरी को दीपों से सजाया था. कहते हैं कि तभी से दीपों का त्योहार दिवाली मनाया जा रहा है. रामायण में राजा दशरथ के चार पुत्रों का जिक्र मिलता है- राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न.बहुत कम लोगों को ये जानकारी है कि भगवान राम की एक बहन भी थी, जिसका वाल्मीकि की रामायण में कहीं कोई जिक्र नहीं है. 

आइए आज आपको बताते हैं कि भगवान राम की बहन कौन थीं.

दक्षिण भारत की रामायण के मुताबिक, प्रभु श्रीराम की बहन का नाम शांता था. शांता राजा दशरथ और कौशल्या की सबसे बड़ी बेटी थीं. शांता बचपन से ही सर्वगुण संपन्न थी. वह वेद और शिल्पकला निपुण थी. हालांकि राजा दशरथ ने बचपन में ही शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को गोद दे दिया था. दरअसल राजा रोमपद की बहन वर्षिणी कौशल्या की बहन और शांता की मौसी थीं.

राजा दशरथ ने शांता को क्यों दिया गोद

एक बार राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी राजा दशरथ और कौशल्या से मिलने अयोध्या गए. राजा रोमपद और वर्षिणी की कोई औलाद नहीं थी, इसलिए उन्होंने राजा दशरथ और उनकी पत्नी से शांता को गोद लेने की बात कही. चूंकि एक कन्या होने के कारण शांता रघुकुल का सिंहासन नहीं संभाल सकती थीं, इसलिए राजा दशरथ शांता को गोद देने के लिए राजी हो गए. जबकि कौशल्या अपनी बहन को दहलीज से निराश नहीं भेजना चाहती थीं, इसलिए वो भी शांता को गोद देने के लिए तैयार हो गईं. और इस तरह शांता अंगदेश की राजकुमारी बनीं.

किसके साथ हुआ शांता का विवाह?

एक बार राजा रोमपद शांता के साथ बातचीत में व्यस्त थे. तभी उनके द्वार पर एक गरीब ब्राह्मण आया और उसने बरसात में खेत से जुड़ी समस्या को उनके सामने रखा. हालांकि राजा रोमपद ने उसकी बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया. परेशान ब्राह्मण क्रोधित होकर राज्य से चला गया. लेकिन इंद्र देव गरीब ब्राह्मण के इस अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पाए और उनके प्रकोप से अंगदेश में सूखा पड़ गया.

इस घटना से राजा रोमपद बहुत परेशान थे. राजा रोमपद ऋषि ऋृंग के पास गए और उनसे सूखाग्रस्त धरती को फिर से हरा-भरा बनाने का उपाय पूछा. ऋषि ऋृंग का बताया अंगदेश एक बार फिर हरा-भरा हो गया. ऋषि ऋंग का उपाय काम कर गया और अंगदेश की बंजर जमीन एक बार फिर हरी-भरी हो गई. इससे प्रसन्न होकर राजा रोमपद ने अपनी गोद ली हुई पुत्री शांता का विवाह ऋषि ऋृंग के साथ कर दिया ।