दशहरा
दशहरा 2022: इस अस्त्र के बिना प्रभु श्री राम के लिए नामुमकिन था रावण का वध, जानें कहां छिपाया गया था ये धनुष
एजेंसी डेस्क
मां सीता को रावण के जाल से छुड़ाने के लिए प्रभु श्री राम लंका पहुंचे और अश्विन माह की तृतीया तिथि से शुरू होकर दशमी तिथि तक रावण और राम जी के बीच युद्ध चला.अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की विजय हासिल की.
लेकिन अक्सर लोगों के दिमाग में ये प्रश्न चलता रहता है कि श्री राम ने रावण का वध किस हथियार से किया था?
आज हम बताते हैं प्रभु श्री राम ने अपने धनुष से नहीं बल्कि रावण के ही धनुष से उसका वध किया था.
रावण को मारने का तरीका विभीषण ने बताया
शास्त्रों के अनुसार रावण बहुत ज्ञानी और शक्तिशाली था. भगवान श्री राम के लिए भी उसे मारना मुश्किल था. लेकिन विभीषण ने श्री राम को रावण को मारने का तरीका बताया.
विभीषण ने बताया था कि उसे एक विशेष अस्त्र से नाभि पर प्रहार करके ही मारा जा सकता है. उसके बिना रावण का मरना असंभव है.
युद्ध में दो प्रकार के धनु का है जिक्र
राम जी और रावण के बीच चले युद्ध में दो प्रकार के धनुष का जिक्र मिलता है.
एक धनुष जो बांस का होता था और भगवान श्री राम उसे हमेशा अपने साथ रखते थे. उसे कोदंड कहा जाता था. इसे सिर्फ राम जी धारण कर सकते थे.
कहा जाता है कि इस धनुष से छोड़ा गया बाण अपने लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था. ऐसे में वे बहुत आवश्यक होने पर ही इसका प्रयोग करते थे.
वहीं, रावण को मारने के लिए जिस अस्त्र का इस्तेमाल किया गया था वे था दिव्यास्त्र. विभीषण ने राम जी को इस अस्त्र की जानकारी दी थी.
शास्त्रों के अनुसार ये अस्त्र ब्रह्मा जी ने रावण को दिया था. इस अस्त्र को रावण की पत्नी मंदोदरी के कक्ष में छिपाया गया था. इस अस्त्र को पाने के लिए हनुमान जी ने वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण किया था और मंदोदरी के कक्ष में पहुंच गए थे.
वहां जाकर हनुमान जी ने मंदोदरी से कहा कि विभीषण ने राम जी को दिव्यास्त्र के बारे में बता दिया है, जो आपके कक्ष में रखा है.ये सब उन्होंने वृद्ध ब्राह्मण का वेश धारण किए हुए ही कहा. और मंदोदरी से उसे कहीं और छिपाने की बात कही.
हनुमान जी की ये बात सुनकर मंदोदरी घबरा गई और तुरंत उस स्थान से अस्त्र निकाल लाई. हनुमान जी शीघ्र अपने ही रूप में आ गए और उन्होंने मंदोदरी से वो अस्त्र छिना और आकाश मार्ग से निकल गए.