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20 साल पहले ऐसी थी पीएम मोदी की सोच, डायरी का पन्ना देखकर आप भी रह जाएंगे दंग, सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

20 साल पहले ऐसी थी पीएम मोदी की सोच, डायरी का पन्ना देखकर आप भी रह जाएंगे दंग, सोशल मीडिया पर हुआ वायरल


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एजेंसी डेस्क,, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे पॉपुलर नेता में से एक हैं, उनकी लोकप्रियता देश ही नहीं दुनिया भर में है। इतना ही नहीं उनकी लोकप्रियता के सामने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कही नहीं टिकते।इसका सबसे बड़ा कारण है उनके विचार और विजन जो वो दुनिया के सामने रखते हैं और इसी दिशा में काम भी करते हैं। जैसा की पहले भी पीएम मोदी अपने कई संबोधन में कह चुके हैं कि भारत एक दिन विश्वगुरु बनेगा और वे इसी दिशा में काम करने की बात भी करते रहे हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि आज से लगभग 20-25 साल पहले नरेंद्र मोदी देश के बारे में क्‍या विचार रखते थे? आगर आप ये नहीं जानते हो चलिए आपको पीएम मोदी के डायरी के पन्ने से बताते हैं कि वो 20 साल पहले क्या सोचते थे।दरअसल सोशल मीडिया पर एक डायरी का पन्ना जमकर वायरल हो रहा है, जिसे 'मोदी आर्काइव' नाम के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है। इस पन्ना को शेयर करते हुए लिखा गया है कि ये पीएम मोदी की डायरी का पन्ना है। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी की ये डायरी उस दौर की है, जब वो न तो प्रधानमंत्री बने थे और न ही वे मुख्यमंत्री बने थे। उस दौर में पीएम मोदी एक भाजपा के एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर काम करते थे

क्या लिखा है डायरी के पन्ने में


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हमारी चेतना है, हमारी प्रकृति है- विविधता में एकता

कार्य संस्कृति- त्येन त्यक्तेन भूंजिथा: (यानी त्याग पुरस्कृत होता है, फलदायी होता है)

कार्यशैली- सहनाववतु सह नौ भुनक्तु (यानी ईश्वर हम सभी की रक्षा करें, हम सभी का एकसाथ पालन करें)

राष्ट्रीय आकांक्षा- राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम (यानी मैं अपने जीवन को राष्ट्र की सेवा में समर्पित करता हूं, यह मेरा नहीं है)

वैश्विक दृश्य (Global Vision) वसुधैव कुटुंबकम् (यानी पूरा विश्व, पूरी धरती हमारा परिवार है)

परंपरा है- चरैवेति चरैवेतियानी चलते रहना, लगातार चलते रहना, नए विचारों के लिए तैयार होकर चलते रहना

सपना है- सर्वे अपि सुखिनः सन्तुइसका यानी कि हमारा सपना है कि पूरी दुनिया सुखी रहे

मर्यादा है- न कामये राज्यम, न स्वर्गम्, ना पुनर्भवम्, इसका अर्थ है कि मेरी न किसी राज्य के राजा बनने की कामना है और न ही स्वर्ग की कामना है और ना ही पुनर्जन्म की कामना है

ऊर्जा है- वंदे मातरम् (यानी मातृभूमि का वंदन)

इस डायरी में नरेंद्र मोदी ने एक जगह भारत की 100 करोड़ आबादी का जिक्र किया है। इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने ये बातें 1990 के दशक के आखिर या 2000 के दशक की शुरुआत में लिखी होगी। इसकी वजह ये भी है कि 2001 की जनगणना में भारत की आबादी पहली बार 100 करोड़ के पार हुई थी। लेकिन, उस जनगणना के प्रकाशित होने से पहले ही इसके अनुमान लगाए जा चुके थे कि देश की आबादी 100 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। नरेंद्र मोदी अक्टूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने, यानी डायरी की ये एंट्री 1990 के दशक से लेकर अक्टूबर 2001 के बीच की हो सकती है।