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खाकी शर्मसार! 5 लाख की डिमांड पूरी नहीं हुई तो पुलिस ने मासूम को बताया स्मैक तस्कर, दारोगा समेत 4 पुलिसकर्मी सस्पेंड
एजेंसी डेस्क,,,उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के बिनावर थाना इलाके में वर्दी का दुरुपयोग करने और एक मासूम को स्मैक तस्कर के रूप में फंसाने और उससे पांच लाख रुपये की मांग करने के आरोप में एक उप निरीक्षक (दरोगा) और तीन आरक्षी (कांस्टेबल) को निलंबित कर दिया गया है।पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
स्मैक तस्करी के आरोप में झूठे साक्ष्य पेश कर जेल भेजा,,
पुलिस के अनुसार शिकायत मिलने पर मामले की जांच की गई और पुलिसकर्मियों पर लगे आरोप सही पाए गए। उन्होंने बताया कि यह भी पता चला है कि इन पुलिसकर्मियों ने पीड़िता के भाई से उसकी रिहाई के लिए 2.30 लाख रुपये भी वसूल किए थे। पुलिस ने पीड़िता के भाई द्वारा दी गई शिकायत के हवाले से बताया कि बिनावर थाना क्षेत्र के नवाबगंज गांव के रामवीर को पुलिस ने हाल ही में स्मैक तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था और झूठे साक्ष्य पेश कर जेल भी भेज दिया था।
ढाई लाख रुपये में भाई को छुड़ाने का हुआ सौदा,,
रामवीर के भाई सतेंद्र ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को अर्जी देकर शिकायत की कि उसके भाई को एनडीपीएस के फर्जी मामले में जेल भेज दिया गया है। उसने शिकायत की कि रामवीर को दो दिन तक थाने में रखा गया जहां उसकी जमकर पिटाई की गई और आरक्षी सुनील ने उसे फोन कर बताया कि उसके भाई को पांच किलो अफीम रखने के आरोप में जेल भेजा जा रहा है। जब सत्येंद्र ने कहा कि उसका भाई निर्दोष है, तो आरक्षी ने उप निरीक्षक की तरफ से पांच लाख रुपये मांगे और बाद में ढाई लाख रुपये में बात पक्की की। सत्येंद्र ने शिकायत में कहा कि उसने किसी तरह 2.30 लाख रुपये का इंतजाम किया और पुलिसकर्मी 20 हजार रुपये की कमी के एवज में उसकी मोटरसाइकिल और मोबाइल ले गए। हालांकि, अगले दिन मोटरसाइकिल और मोबाइल वापस कर दिए।
जांच में दारोगा समेत 4 पुलिसकर्मी दोषी,,
उन्होंने आरोप लगाया कि रुपये लेने के बावजूद भाई को रिहा नहीं किया और 1.50 ग्राम स्मैक बरामद दिखाते हुए उसका चालान कर दिया। शिकायत मिलने के बाद एसएसपी डॉ ओपी सिंह ने पुलिस अधीक्षक (नगर) अमित किशोर श्रीवास्तव से प्रारंभिक जांच कराई, जिन्होंने एसआई को दोषी ठहराते हुए रिपोर्ट सौंप दी। एसएसपी ने बताया कि बाद में पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सिद्धार्थ वर्मा ने विस्तृत जांच की, जिन्होंने चारों पुलिसकर्मियों को दोषी पाया और अपनी रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी, जिसके बाद एसआई संजय गौड़ और कांस्टेबल सुनील, विक्रांत और जितेंद्र को निलंबित कर दिया गया। एसएसपी ने बताया कि चारों के खिलाफ विभागीय जांच भी की जा रही है।