Headlines
Loading...
यहां 50 सालों से मुस्लिमों ने संभाल रखी है रामलीला की कमान, इस बार टूट जाती परंपरा

यहां 50 सालों से मुस्लिमों ने संभाल रखी है रामलीला की कमान, इस बार टूट जाती परंपरा




एजेंसी डेस्क

यूपी अमरोहा ,,,साल 1973 से यहां जारी रामलीला आयोजन समिति में मुख्य पदों पर हर बार मुस्लिम समाज से जुड़े लोगों ने जिम्मेदारी संभाली। चंदा जुटाने से लेकर मंचन तक की जिम्मा अपने कंधों पर उठाया है।

कस्बे में पूर्व में रामलीला मंचन अमरोहा-बिजनौर मुख्य मार्ग के किनारे सड़क पर किया जाता था। ट्रैफिक के बढ़ते बोझ, अतिक्रमण की मार से तंग हुई इस सड़क पर इस बार रामलीला न हो पाने के आसार थे। ऐसा लग रहा था कि रामलीला मंचन के लिए कोई दूसरा स्थान नहीं मिला तो इस बार आपसी सौहार्द की ये अनूठी परंपरा भी टूट जाएगी। 

इसी बीच समिति के अध्यक्ष शिबाल हैदर ने आबादी से सटे मोहल्ला अलीनगर में अपना करीब पांच बीघा खेत रामलीला के लिए उपलब्ध करा दिया। शिबाल बताते हैं कि आगे जल्द ही समिति अपनी जमीन की खरीद कर वहां नियमित रामलीला की व्यवस्था करेंगे।


मिसाल है तिलकधारी मुस्लिमों की मौजूदगी

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श चरित्र को भी नौगावां सादातवासी खुलकर आत्मसात कर रहे हैं। यहां रामलीला आयोजन की शुरुआत में होने वाले पूजन में मुस्लिम समाज के लोग भी शामिल रहते हैं। 

मंत्रोच्चार की गूंज के बीच रोली-चावल का तिलक लगाए मुस्लिम भाइयों की मौजूदगी अपने आप में मिसाल है। समिति अध्यक्ष शिबाल कहते हैं ये यहां की गंगा जमुनी तहजीब है, जो हमारे खून में बसी है।

यहां अल्पसंख्यक है हिन्दू आबादी 

नौगावां सादात कस्बे में कुल आबादी का 80 फीसदी हिस्सा मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखता है। बाकी 20 फीसदी ही हिन्दू समाज के लोग हैं। बावजूद इसके यहां हिंदू-मुस्लिम आपसी सौहार्द से रहते हैं। मुस्लिमों के संयोजन में होने वाली रामलीला भी इस सौहार्द में चार चांद लगाती है।

कई जगह जिंदा है ऐसी परम्परा

नौगावां सादात समेत जिले में कईं दूसरे स्थानों पर भी आपसी सौहार्द के मंच पर सद्भाव की रामलीला का मंचन अरसे से लगातार जारी है। नौगावां सादात क्षेत्र के ही गांव खेड़का में आयोजित रामलीला मंचन में मुस्लिम समाज बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है। 

इसी तरह अमरोहा शहर में होने वाले रामलीला आयोजन के लिए भी मुस्लिम समाज चंदा देने की पहल करता है। 

श्रीधार्मिक रामलीला कमेटी अध्यक्ष विशाल गोयल एडवोकेट बताते हैं कि आपसी सौहार्द का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुस्लिम समाज के जुलूस के मद्देनजर श्रीराम बारात को यहां शाम पांच बजे के स्थान पर रात नौ बजे भी निकाला जा चुका है।


मुस्लिमों ने ही किया रावण दहन, राम बारात भी निकाली 

नौगावां सादात में कोरोना काल से पहले रावण दहन भी किया जाता था। अधिकांश बार बतौर रामलीला समिति अध्यक्ष मुस्लिम समाज के पदाधिकारियों ने ही रावण दहन करते थे। कोरोना काल में इस पर रोक लगी थी, जिसे इस बार फिर से शुरू किया जाएगा। वहीं कस्बा निवासी बुजुर्ग बताते हैं कि पूर्व में कस्बे में राम बारात भी भव्य रूप से निकाली जाती थी लेकिन अब हिन्दू परिवारों के दूर अन्य शहरों में कारोबार के लिए बस जाने के चलते इस परंपरा को रोक दिया गया है। हालांकि रामलीला मंचन लगातार जारी है।