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वाराणसी की बेटियों ने रैली निकालकर मांगा समानता का अधिकार, कहा - 'भीख नहीं अधिकर चाहिए जीने का सम्मान चाहिए'

एजेंसी डेस्क :
पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शनिवार को लैंगिक भेदभाव के खिलाफ बेटियों ने आवाज उठाते हुए बालिका महोत्सव कार्यक्रम में बराबरी का अधिकार मांगा।राजातालाब में लोक समिति वाराणसी और आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को ढढोरपुर (कोइली) गांव मे बालिकाओं ने यौन उत्पीड़न, लैंगिक भेदभाव, बालविवाह के खिलाफ रैली निकाली।
रैली में असवारी, पयागपुर, बुड़ापुर, कोइली, भीखमपुर, चंदापुर, भीमचण्डी आदि गांव से आयी सैकड़ों किशोरी लड़कियों ने कन्या भ्रूण हत्या, यौन उत्पीड़न, दहेज, बाल विवाह पर रोक लगाने की मांग की।
रैली में शामिल लड़कियां,
बाल विवाह बंद करो,
तिलक दहेज छोडो जाती पाती तोड़ो,
भीख नहीं अधिकर चाहिए जीने का सम्मान चाहिए,
औरत भी जिन्दा इंसानहै नहीं भोग की वह सामानहै,
कन्या भ्रूण हत्या बंद करो के नारे लगाये।
इसके बाद गांव में बालिका महोत्सव का आयोजन किया गया। किशोरी सिलाई केंद्र, किशोरी समूह की लड़कियों ने बाल विवाह, जेण्डर असमानता, यौन उत्पीड़न पर नाटक व सांस्कृतिक कार्यक्रम किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ जिला पंचायत सदस्य, लोक चेतना समिति की संयोजिका रंजू सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता तनुजा मिश्रा व लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने दीप जलाकर किया।
मुख्यअतिथि लोक चेतना समिति की निदेशिका रंजू सिंह ने कहा कि दहेज समाज में अभिशाप है, जिसके कारण बहुत से लड़कियों की पढाई छुड़ाकर कम उम्र में उनकी शादी करा दी जाती है जिससे लड़कियों के सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
सामाजिक कार्यकता तनुजा मिश्रा ने कहा कि आज घर में ही लड़किया सुरक्षित नहीं हैं और परिवार और उनके रिश्तेदार ही बहुत बार उनका यौन शोषण करते हैं।
जिला पंचायत सदस्य ने कहा कि घर में लड़कियों और लड़कों में भेदभाव खत्म करना है तो लड़कियों को शिक्षित होना पड़ेगा इसके लिए लड़कियों को ही आगे आना होगा।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत बेबी, अध्यक्षता सिताबुन, संचालन मैनब बानो व सीमा तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजिका सोनी ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिला पंचायत सदस्य ललित यादव, आशा, सरोज, मैनम बानो, बेबी, उर्मिला विश्वकर्मा, अनीता, सोनी, आशा रानी, राजकुमारी, मधुबाला, मैत्री, अखिलेश मिश्रा, काजल, नीलम, सुंदरी, नेहा, फरीदा, तनु, नूरजहां, आफरीन आदि ने अपने अपने विचार रखे।