Headlines
Loading...
भारत धर्म प्रधान देश है,, काशी, मथुरा, अयोध्या हृदयः काशी पीठाधीश्वर शंकराचार्यजी,,,

भारत धर्म प्रधान देश है,, काशी, मथुरा, अयोध्या हृदयः काशी पीठाधीश्वर शंकराचार्यजी,,,


Published from Blogger Prime Android App


एजेंसी डेस्क : भारत धर्म प्रधान देश है। इस देश के काशी मथुरा अयोध्या हृदय हैं। मौजूदा सरकारें पूर्व में की गई गलतियों को ठीक करने के लिए न्यायालय का सहारा ले रही हैं।इन गलतियों के लिए मौजूदा मुस्लिम जिम्मेदार नहीं है। लिहाजा उन्हें विवाद पैदा करने के बजाय गलतियां सुधारने में सहयोग करके गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करनी चाहिए। 

उक्त उद्गार इंगोहटा में चल रही सहस्त्रचंडी महायज्ञ में शिरकत करने आए काशी पीठाधीश्वर के शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने गांव निवासी राघवेंद्र सिंह राजावत के आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान व्यक्त किए। शंकराचार्य ने कहा कि काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मूलतः शिवालय है। मुस्लिम पक्ष को बगैर हिचक के अपना दावा छोड़कर प्रेम, सद्भाव, एकता, हिंदू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश करना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि सभी वेद, पुराण, रामायण, गीता, कुरान में लोक कल्याण की बातें कही गई हैं। देश में सुख शांति प्रसन्नता का वातावरण हमेशा रहना चाहिए। यह उद्देश सभी का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सन्त महात्मा सभी के लोक कल्याण की कामना करते हैं। मनुष्यता सबसे बड़ी चीज है। सब कुछ मिट्टी से निर्मित है और मिट्टी में ही समाहित हो जाता है। सभी को आत्मा का ज्ञान होना चाहिए और यह तभी संभव होता है जब मनुष्य भक्तिभाव से जुड़ता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि बुंदेलखंड में गोवंश दुर्दशा का शिकार है। 

इस तरफ सरकारों को विशेष ध्यान की जरूरत है। प्राचीन काल में गोधन का बहुत बड़ा महत्व था। इससे मनुष्य की हैसियत आंकी जाती थी। उन्होंने कहा कि सरकारों को गोचर क्षेत्र विकसित करके उनको संरक्षित करना चाहिए। एक सवाल के जवाब में कहा कि विश्व में बढ़ रहे युद्धों के कारण प्रकृति का संतुलन गड़बड़ा गया है। प्रकृति को बचाने के लिए युद्धों को रोकना बेहद जरूरी है।

संयुक्त राष्ट्र संघ सहित सभी शांतिप्रिय देशों को इस ओर प्रभावी कदम उठाने चाहिए। तभी प्रकृति को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में विघटन पैदा हो रहा है। सभी को अपनी अपनी मर्यादा में रहकर निष्ठा के साथ सामाजिक संस्कृति का निर्वहन करना चाहिए। तभी देश में सद्भाव उत्पन्न होगा और खुशहाली आएगी। उन्होंने कहा कि इंगोहटा में हो रहे सहस्त्र चंडी महायज्ञ से जनकल्याण होगा और भविष्य में इसके परिणाम क्षेत्रवासियों को अवश्य प्राप्त होंगे।