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बनारसी साड़ी और पान ही नहीं ठंडई भी है बनारस की पहचान, अब जीआई मार्का की तैयारी

बनारसी साड़ी और पान ही नहीं ठंडई भी है बनारस की पहचान, अब जीआई मार्का की तैयारी



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एजेंसी डेस्क :  साड़ी, बनारसी पान, बनारसी खिलौने ही नहीं यहां की ठंडई भी एक पहचान है। बनारस आने वाले ठंडई पीना और अपने साथ ठंडई की बोतल ले जाना नहीं भूलता है। बनारस के खान-पान का जिक्र आते ही खुद-ब-खुद ठंडई की तस्वीर सामने आ जाती है।बाबा की नगरी में ठंडई की भारी डिमांड हमेशा रहती है। होली के अवसर पर तो इसकी मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। भारत के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले पर्यटक ही नहीं विदेशी भी इसके स्वाद का जमकर लुत्फ उठाते हैं। जाते-जाते अपने साथ कई बोतल ठंडई लेकर भी जाते हैं। देश के अलग अलग शहरों में भी बनारसी ठंडई की डिमांग पूरे साल बनी रहती है। 

बनारस में कहां मिलती है ठंडई

अगर आप ठंडई खरीद कर अपने साथ ले जाना चाहते हैं तो इसे किसी भी जनरल स्टोर से खरीद सकते हैं। बोतल में अच्छी पैकिंग के साथ यहां की ठंडई कई ब्रांड में आती है। इसके अलावा पीने के लिए ठंडई बनारस में कई जगहों पर आपको मिल सकती है। काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास तो इसकी काफी दुकानें हैं। इनमें कई दुकानें बहुत ज्यादा फेमस हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए जाने वाला ह्रदय स्थल गौदोलिया पर ठंडई की एक कतार में कई दुकानें हैं। यहां सुबह से देर रात तक लोगों की भीड़ लगी रहती है। कुछ दुकानें तो चौबीसो घंटे खुली रहती हैं। कुछ लोग ठंडई के साथ भांग भी लेते हैं। भांग को बाबा विश्वनाथ का प्रसाद भी बोला जाता है। 

अगर कुछ मशहूर ठंडई की दुकानों की बात करें तो आप गौदोलिया चौराहे से सोनारपुरा रोड की तरफ जाते समय मल्टीस्टोरी पार्किंग के सामने चौराहे पर एक साथ कई दुकानें दिखाई देंगी। यहीं पर एक दुकान बादल ठंडई भी है। यहां दूध की सामान्य ठंडई के अलावा पिस्ता, मलाई, बादाम वाली ठंडई और स्पेशल केशरिया मलाई पौष्टिक बादाम, गुलाब शरबत, खस शरबत , ऑरेंज शरबत, नीम्बू शरबत, नीम्बू सोडा मसालेदार, लस्सी, केशरिया लस्सी का भी स्वाद ले सकते हैं। बादल ठंडई के अगल बगल भी कई दुकानें हैं। यहां भी हर तरह की ठंडई मिलती है। इन दुकानों पर भी भीड़ लगी रहती है।

इसके अलावा ठंडई की एक और जानी मानी दुकान है मिश्राम्बु ठंडई। सन 1924 में खुली ठंडई की यह दुकान है बादल ठंडाई के पास ही है। यहां मिश्राम्बु स्पेशल मलाई मटका ठंडाई काफी प्रसिद्ध है। इसमे ये लोग ठंडई एक मटके में बनाते हैं। और इस मटका ठंडई में मलाई बादाम काजू केसर मखाने का पेस्ट इलायची दूध का प्रयोग किया जाता है। मिश्राम्बु ठंडाई की शहर में कई और ब्रांच है। इसमे से एक रथयात्रा महमूरगंज में है और एक नदेसर राजा बाज़ार में है। इसके अलावा बाबा की ठंडई भी प्रसिद्ध दुकान है। यह दुकान गोदौलिया से काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले मार्ग पर बांसफाटक में है। 

जीआई उत्पाद में शामिल करने की तैयारी

अब बनारसी ठंइई को जीआई उत्पाद में शामिल करने की तैयारी हो रही है। इसे एक हजारवें उत्पाद के रूप में शामिल करने के लिए इसी माह आवेदन किया जाएगा। उम्मीद है कि इसे जल्द जीआई उत्पाद में शामिल कर लिया जाएगा। रविवार को ही बनारस आए केन्द्रीय संस्कृति और संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह जानकारी दी। मेघवाल रविवार को बड़ालालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में उत्तर भारत के पहले जीआई महोत्सव के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। 

उन्होंने कहा कि जीआई उत्पाद केवल एक क्षेत्र की पहचान ही नहीं हैं बल्कि अर्थव्यवस्था बढ़ाने में भी उनका खासा योगदान होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से जो पांच प्रण लेने की बात कही थी, उनमें विरासत भी शामिल है। जीआई उत्पाद भारत की विरासत हैं, उनके संरक्षण के लिए हम सभी को आगे आना चाहिए। यह तभी होगा जब स्थानीय उत्पादों का हम ‘वोकल फॉर लोकल’ के तहत अधिक से अधिक उपयोग करेंगे।