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वाराणसी : भगवान राम के विजय पर रामनगर किले में शस्त्र पूजा, निकला काशीराज घराने का परम्परागत शाही विजय जुलूस

वाराणसी : भगवान राम के विजय पर रामनगर किले में शस्त्र पूजा, निकला काशीराज घराने का परम्परागत शाही विजय जुलूस


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एजेंसी डेस्क
वाराणसी, रामनगर ,,विजय जुलूस में सबसे आगे बनारस स्टेट का झंडा रहा आकर्षण, राजसी वेशभूषा में हाथी पर सवार होकर निकले महाराज अनंतनारायण सिंह

विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला में भगवान राम और लंकाधिपति रावण के बीच घमासान युद्ध में रावण वध और लंका विजय के उपलक्ष्य में मंगलवार को रामनगर किले में परम्परानुसार पूर्व काशीनरेश के वंशज महाराज अनंत नारायण सिंह ने शस्त्रपूजा की। इसके बाद किले से परंपरानुसार शाही विजय जुलूस निकाला गया। 

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जुलूस में सबसे आगे बनारस स्टेट का झंडा लेकर दुर्ग के सुरक्षा कर्मी चल रहे थे। उनके पीछे डंका वादक घुड़सवार, घुड़सवार पुलिस का दल चल रहा था। इसके बाद महाराज अनंत नारायण सिंह परंपरागत राजसी वेशभूषा में हाथी पर सवार होकर ठीक चार बजकर उन्नीस मिनट पर किले से बाहर निकले। 

उनके बाहर निकलते ही किले के ऊपरी बुर्ज पर खड़े ताशा वादकों ने ताशा बजाया। दुर्ग के बाहर खड़े लोगों ने हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से अपने महाराज का अभिवादन किया। महाराज ने भी हाथ जोड़कर उनका अभिवादन स्वीकार किया। 

कुंवर अनंत नारायण सिंह की अगुवाई में निकला शाही जुलूस जिस मार्ग से गुजरता जन समुदाय हर-हर महादेव का जयघोष करने लगा। समूचा रामनगर इस घोष से गुंजायमान हो रहा था। लगभग तीन किलोमीटर के रास्ते में दोनों ओर खड़े लोग उनका अभिवादन करते रहे। 

बटाऊबीर पहुंचकर उन्होंने शमी वृक्ष का पूजन किया और शांति के प्रतीक कबूतर छोड़ें। इसके बाद धीरे-धीरे उनका काफिला लंका पहुंचा। वहां पहुंचकर कुंवर ने रणभूमि की परिक्रमा की और दुर्ग में लौट आए। यहां दरबार हाल में दरबार लगाया गया। 

दरबार में कुंवर को नजराना पेश किया। रुमाल में एक रुपये का सिक्का और पान का बीड़ा रखकर कुंवर को पेश किया। इसके पहले रामनगर किले में विजय दिवस समारोह ठीक दोपहर दो बजकर 41 मिनट पर शुरू हुआ। 

पूजन के बाद कुंवर बाहर निकले यहां तैनात 36वीं वाहिनी पीएसी के जवानों ने उन्हें सलामी दी। किले की शाही बैंड पार्टी ने सलामी धुन बजायी। कुंवर ने शस्त्र पूजन किया। 

ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कुंवर ने विजय जुलूस में प्रदर्शित किए जा रहे अस्त्र-शस्त्र, हाथी-घोड़ों आदि की सभी ने पूजा की। फिर पालकी में सवार होकर किला परिसर स्थित काली मंदिर में पूजन के लिए गए। शाम चार बजकर 37 मिनट पर कुंवर का शाही काफिला किले से बाहर निकला।