‘एजेंसी डेस्क : वाराणसी दीनदयाल हस्तकला संकुल में कस्तूरी बसती है। और हां, आपने यहां चॉकलेटी इत्र देखा या नहीं’-यह सवाल उद्योग विभाग के एक आला अधिकारी ने किया तो जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी के प्रति उत्सुकता बढ़ गई।एक जिला-एक उत्पाद की अवधारणा को पुष्ट करते इन उत्पादों की प्रदर्शनी में भारत देश की विविधता झलक रही है। बड़ा लालपुर स्थित हस्तकला संकुल में प्रदर्शित जीआई उत्पादों में तरह-तरह के इत्र वाले स्टॉल सबसे अलग और खास कहे जा सकते हैं। वहां आप को कायल बनाने के लिए संत कबीर के एक दोहे की खुशबू बनी कस्तूरी, चंदन, गुलाब, केवड़ा इत्र की असली सुगंध है तो हुनर पर लट्टू बनाने के लिए सबसे इतर चॉकलेटी अतर (इत्र) भी है।
कन्नौज के हुनरमंद तरह-तरह के इत्र लेकर इस महोत्सव में पहुंचे हैं। उनमें चॉकलेट के बीजों से तैयार इत्र सबका ध्यान खींच रहा है। 18 हजार रुपये प्रति किलो की दर वाला यह इत्र युवा ग्राहकों की पसंद बन गया है। कन्नौज के अभिनव गुप्ता चॉकलेटी इत्र लेकर आए हैं। इसे तीन ग्राम से लेकर 20 ग्राम की आकर्षक शीशियों में खरीदा जा सकता है।
इत्र की शीशियां भी कम नहीं
कस्तूरी इत्र की कीमत 17 हजार से 26 हजार रुपये किलो है। इत्र विक्रेताओं के स्टॉल पर आकर्षक डिजाइनर शीशियों को नजरंदाज करना कठिन है।
सबसे डिजाइनदार शीशी का ही दाम 15 सौ रुपये है। रईसी और रहन-सहन की तरफदार इत्र की ये शीशियां सोशल स्टेटस की मानक हैं।
एक उत्पाद में पांच जीआई
इत्र निर्माता गौतम शुक्ला कन्नौज से इत्र का ऐसा उत्पाद लेकर पहुंचे हैं जिसमें पांच जीआई उत्पादों का संगम है। इसमें सहारनपुर की लकड़ी के बॉक्स, ओडिशा का केवड़ा, मैसूर का चंदन, फिरोजाबाद की शीशी शामिल है।
कतरनी चावल 200 रुपये किलो उपलब्ध
जीआई महोत्सव में बिहार का कतरनी चावल 200 रुपये किलो की रेट में उपलब्ध है।
इसकी टक्कर चंदौली के काला नमक से है। दोनों चावल की खासियत समझने के बाद लोग उन्हें खरीद रहे हैं।