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काशी के महाश्मशान पर अंतिम संस्कार का खर्च होगा कम विशेष संयंत्र लगाने की तैयारी, कम लकड़ी की पड़ेगी जरूरत
एजेंसी डेस्क : काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर वाराणसी ही नहीं यूपी के अन्य जिलों के साथ ही बिहार-झारखंड, एमपी और आसपास के अन्य राज्यों से भी लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने आते हैं।काफी लोग तो अंतिम समय में यहीं पर रहकर मोक्ष पाने की इच्छा पूरी करने आते हैं। लोगों की अंतिम इच्छा कम खर्च में पूरी हो सके, इसके इंतजाम में सरकार लगी है। विश्वनाथ कॉरिडोर में मुमुक्षु भवन का निर्माण कराने के बाद अब उससे सटी मणिकर्णिका घाट पर इंतजामों को सुधारा जा रहा है।
अंतिम संस्कार का खर्च कम करने के लिए यहां विशेष संयंत्र लगाया जाएगा। इस संयंत्र पर भी लकड़ी से ही अंत्येष्टि होगी लेकिन पहले की तुलना में काफी कम लड़की की जरूरत होगी। प्रदेश सरकार की पहल पर जल्द ही लगने वाले इस संयंत्र में अंत्येष्टि के लिए 120 किलो ही लकड़ी लगेगी। यह संयंत्र शवदाह का खर्च कम करने के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार साबित होगा।
एक संयंत्र में करीब 54 लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें एक खास तरीके की ट्रॉली में चिता सजाई जाती है। परंपरा के अनुसार चिता की परिक्रमा, कपाल क्रिया भी हो सकती है। इसमें लगी 100 फीट ऊंची चिमनी से वातावरण प्रदूषित नहीं होता है।
नगर निगम के इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल विभाग के एक्सईएन अजय कुमार राम ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए यह संयंत्र को लगाया जा रहा है। फाउंडेशन का काम पूरा हो गया है, गंगा का जलस्तर कम होने के बाद संयंत्र लगा दिया जाएगा।
संयंत्र बनाने वाले कंपनी ऊर्जा गैसीफायर प्राइवेट लिमिटेड के एमडी अजय कुमार जायसवाल ने कहा कि संयंत्र में एक शव के संस्कार में करीब 120 किलोग्राम लकड़ी का उपयोग होता है। परंपरागत अंत्येष्टि की अपेक्षा इसमें एक तिहाई लकड़ी का उपयोग होता है। साथ ही डेढ़ घंटे में संस्कार हो जाता है। उन्होंने कहा कि कोलकाता के हिन्दुस्तान चैरिटी ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी कृष्ण कुमार काबरा ने नगर निगम को इसका प्रस्ताव भेजा था।