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काशी तो हमारी है, हिंदू धर्म के हिसाब से मक्का भी हमें मिलना चाहिए- स्वामी निश्चलानंद
एजेंसी डेस्क : उत्तर प्रदेश में अयोध्या, काशी, मथुरा पर हमेशा से हिंदू-मुस्लिम अपना-अपना दावा ठोंगते रहे हैं. एक पक्ष कहता है कि इन जगहों पर पहले से मंदिर ही थे, तो दूसरा पक्ष मस्जिद होने का दावा करता रहा है.अब मामला इससे छोड़ा अलग हो गया है. श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने ज्ञानव्यापी के सहारे मक्का पर भी बड़ा बयान दिया है. कानपुर पहुंचे जगदगुरु निश्चलानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी पर बोलते हुए कहा कहा है कि काशी तो हमारी है, हिंदू धर्म के हिसाब से मक्का भी हमें ही मिलना चाहिए क्योंकि मक्का में पहले भगवान शिव मक्केश्वर का मंदिर था.
श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती करीब 16 सालों के बाद कानपुर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने ज्ञानवापी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि काशी तो हमारा है ही. इतना ही नहीं इस्लाम धर्म के सबसे बड़े तीर्थ स्थल मक्का का भी जिक्र करने लगे. उन्होंने मक्का हिंदुओं को मिलने की बात कही.
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मक्का में महादेव मक्केश्वर महादेव हैं, इसीलिए उस पर हिंदू धर्म के मुताबिक सनातनियों का हक होना चाहिए. उनके इतना कहते ही वहां मौजूद लोग स्वामी जी की जय-जयकार करने लगे.'काशी हमारी है अब मक्का मिलना चाहिए'
बता दें कि ज्ञानवापी इन दिनों देश में सबसे गरम मुद्दा बना हुआ है. ज्ञानवापी और श्रंगार गौरी केस की सुनवाई लगातार अदालत में चल रही है. हिंदू पक्ष लगातार वहां मंदिर होने का दावा करता रहा है,. वजूखाने से कथित शिवलिंग मिलने के बाद लोगों की आस्था और भी मजबूत हो गई है. मामले पर लगातार कोर्ट में सुनवाई जारी है. इस बीच श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर ने यहां तक कह दिया है कि काशी तो हमारी है ही अब मक्का भी हमें ही मिलना चाहिए.
'वेद, ग्रंथों के उपयोग से विश्वगुरु बनेगा भारत'
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि शिव में पूरा विश्व समाया है . उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी में भी भोलेनाथ बसे हैं. इसके साथ ही उन्होंने इस्लाम धर्म के सबसे बड़े तीर्थ स्थल मक्का पर ही हिंदुओं का हक बता दिया. जगद्गुरु ने कहा कि समाज के उत्थान के लिए मंदिरों का उत्थान भी बहुत जरूरी है.तभी समाज में संस्कार, धर्म और संस्कृति भी सुरक्षित रह सकेगी. स्वामी जी ने कहा कि प्राचीन संस्कृति के ज्ञान का यूज को विदेशों में भी किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वेद, ग्रंथों के उपयोग से भारत एक बार विश्वगुरु बन जाएगा.