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मीरजापुर में गंगा में तैरता मिला पत्थर, त्रेतायुगीन पत्‍थर मानकर विष्‍णु मंदिर में ले जाकर हो रही पूजा

मीरजापुर में गंगा में तैरता मिला पत्थर, त्रेतायुगीन पत्‍थर मानकर विष्‍णु मंदिर में ले जाकर हो रही पूजा





एजेंसी डेस्क : मीरजापुर जिले के सीखड़ गांव के सामने गंगा नदी में सुबह एक तैरता हुआ पत्थर देख लोग अचंभित रह गए।

गांव के लोगों ने पहले उसे आर्टिफ‍िशियल माना मगर जब उसे उठा कर देखा तो यह वजनी पत्‍थर निकला तो लोगों ने एक एक कर अपने हाथों से उसका वजन आंकने की कोशिश की तो यह काफी वजन का निकला। देखने में भी यह सामान्‍य पत्‍थर की भांति था और यह खोखला प्रतीत नहीं होने के बाद लोगों ने इसको त्रेतायुगीन पत्‍थर मानकर इसकी पूजा शुरू कर दी है। 

पूरा मामला मीरजापुर जिले के सीखड़ के लालपुर का है। जहां के निवासी बचाऊ शर्मा सुबह गंगा नदी पर पिंडदान में शामिल होने गए थे, तभी उन्हें गंगा नदी में एक तैरता हुआ पत्थर दिखाई दिया। गांव के लोगों ने पत्थर को नदी से निकालकर वजनी इस पत्‍थर को बार- बार पानी में डुबोने का प्रयास किया, परंतु पत्थर नदी में डालते ही तैरता नजर आने लगा। गांव वालों ने इसको 

अलौकिक पत्थर मानकर नदी से निकालकर पास स्थित विष्णु भगवान के मंदिर में लाकर रख दिया। इसे देखने के लिए भारी संख्या में आसपास गांव के लोग मंदिर पहुंच रहे हैं। गंगा में तैरते पत्थर को लेकर क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं हैं।

यह तो जियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ बता बताएंगे कि आखिर इस पत्‍थर में ऐसा क्‍या है जो इसे तैरने में मदद कर रहा है। स्‍थानीय लोगों के अनुसार राख या पोल की संभावना भी इस पत्थर में नहीं होने की वजह से इसका भारी वजह के साथ लगातार तैरना इसे दूसरे पत्‍थरों से अलग करता है। 

स्‍थानीय लोगों की मान्‍यता है कि त्रेतायुगीन काल में समुद्र में पत्‍थर को नल- नील तैरने वाला बना देते थे। जिसकी वजह से राम की सेना लंका तक पहुंचने में सफल हो सकी थी। ऐसे में त्रेतायुगीन पत्‍थर मानकर क्षेत्र में इसकी पूजा की जा रही है। वहीं 

मीरजापुर में गंगा में तैरते मिले पत्थर की प्रमाणिकता की जांच करने वाराणसी से रविवार को जियोलाजिस्ट की एक टीम पहुंच रही है।