Uttar Pradesh
पंडालों में विराजीं मां दुर्गा तो ढाक के डंके से गूंजा वाराणसी शहर, शाम ढलते ही रोशनी से जगमगाईं सड़कें-गलियां
एजेंसी डेस्क
वाराणसी। शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि में शनिवार को शहर के सभी पूजा पंडालों में मां दुर्गा सपरिवार विराजमान हो गईं। खास तौर से बंगीय पूजा पंडालों में मूर्तियों के पहुंचने के साथ ही पुरोहितों ने घट स्थापन और बोधन, आमंत्रण व अधिवास आदि अनुष्ठान कराए।गली-मोहल्लों में दिन भर ढाक के डंके की गूंज सुनाई देती रही। शाम ढलते ही शहर में साज-सज्जा के रूप में त्योहार के इंद्रधनुषी रंग बिखर गए।
सुबह से ही शिल्पकारों के यहां प्रतिमा उठाने आए आयोजकों की कतार लगी रही। देवनाथपुरा, पांडेय हवेली, सोनारपुरा, भेलूपुरा क्षेत्र की कार्यशालाओं से ट्रक-ट्रैक्टर-ट्राली पर मूर्तियां ढाक, ढोल, नगाड़ा की थाप के बीच छोटी-छोटी शोभायात्राओं के रूप में प्रतिमाएं ले जाई जाती रहीं। देर रात तक दुर्गा माई की जयघोष से मोहल्ले गूंजते रहे।
भारत सेवाश्रम संघ (सिगरा), रामकृष्ण अद्वैत आश्रम (लक्सा), काशी दुर्गोत्सव समिति (शिवाला), बाबा मच्छोदरानाथ दुर्गोत्सव समिति (मच्छोदरी) स्पोर्टिंग क्लब (देवनाथपुरा), प्रभात तरुण संघ (हरिश्चंद्र घाट रोड), जिम स्पोर्टिंग (भेलूपुर), शारदोत्सव संघ (भेलूपुर), वाराणसी यूथ क्लब (सोनारपुरा), ईगल क्लब (जंगमबाड़ी), यंग ब्वायज क्लब (गिरजाघर), हर सुंदरी धर्मशाला (गिरजाघर), वाराणसी दुर्गोत्सव सम्मिलिनी (पांडेय हवेली), अकाल बोधन (लक्सा), बरेका व बीएचयू स्थित मधुबन के पूजा मंडपों में प्रतिमाओं की प्राण-प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान किए गए।
इन पूजा पंडालों में सप्तमी की सुबह नव पत्रिका प्रवेश का आयोजन करके, सप्तमी पूजा के साथ देवी को प्रथम पुष्पांजलि समर्पित की जाएगी। शेष पंडालों में सप्तमी की सुबह प्राण-प्रतिष्ठा के विधि विधान किए जाएंगे। इन पंडालों में समितियों की ओर से देर रात तक सज्जा के लिए शेष बचे कार्यों को अंतिम रूप दिया गया। सबसे ज्यादा जोर लाइटिंग को दुरूस्त करने पर रहा।