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सूर्य ग्रहण के बाद वाराणसी में गंगा में लगी आस्‍था की डुबकी, लोगो ने दान करने की निभाई परंपरा

सूर्य ग्रहण के बाद वाराणसी में गंगा में लगी आस्‍था की डुबकी, लोगो ने दान करने की निभाई परंपरा



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एजेंसी डेस्क : सूर्य ग्रहण के दौरान गंगा घाट के आसपास जप करते नजर आए। मोक्ष के बाद गंगा स्‍नान कर दान की परंपरा को पूरा किया। 

सूर्य ग्रहण के दौरान शहर के सभी मंदिरों के पट को बंद कर दिया गया था।सूर्य ग्रहण की समाप्ति पर गंगा तट पर स्‍नानार्थियों की भीड़ जुटी। लोगों ने गंगा में आस्‍था की डुबकी लगाई। 

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कार्तिक मास होने के कारण गंगा के घाटों पर भी स्‍नान को लोग जुटे। अब मंदिरों को धुलने के बाद पट खोलने की तैयारी की गई।

घरों में भी लोगों ने ग्रहण का नजारा देखा,,,

नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण देखने से लोगों ने परहेज भी किया। ऐसा इसलिए क्‍योंकि पूर्व में इस संबंध में वैज्ञानिकों ने ऐसा आग्रह किया था। छोटे बच्‍चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक इस खगोलीय घटनाओं को देखने के लिए आतुर दिखे। इसके लिए एक्‍सरे प्‍लेट का भी प्रयोग किया गया।

 वाराणसी में सूर्य ग्रहण के कारण काशी विश्‍वनाथ धाम बंद,,,

ग्रहण के चलते काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट दोपहर 3.20 बंद हो गए। दर्शन-पूजन के साथ ही सप्तर्षि आरती, शृंगार भोग आरती, शयन आरती नहीं होगी। अब 26 अक्टूबर को सुबह 6.02 बजे सूर्योदय होने पर मोक्ष पूजा व मंगला आरती के बाद दर्शनादि के लिए कपट खुलेंगे। अन्नपूर्णा मंदिर में भी कपाट दोपहर 2.15 बजे बंद हो गए। अब बुधवार सुबह 6.02 बजे पूजा आरती के बाद 6.30 बजे कपाट खुलेंगे। हालांकि संकट मोचन मंदिर में मंगला आरती के बाद ही सूतक विधान अनुसार कपाट बंद हो गए थे। मंदिर शाम सात बजे खुल जाएगा।

आठ नवंबर को खग्रास चंद्रग्रहण

कार्तिक अमावस्या इस बार दो दिन पड़ रही है। पहले दिन 24 अक्टूबर को दीपावली मनाई गई तो 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण लगा। खास यह कि मोक्ष होने से पहले ही सूर्यास्त हुआ है। इस स्थिति को धर्म शास्त्रों में ग्रस्ताग्रस्त सूर्यग्रहण कहा गया है। इस स्थिति में अगले दिन सुबह सूर्योदय काल में ग्रहण की धर्म शास्त्रीय निवृत्ति मानी जाती है। इसके बाद ही देव स्पर्श समेत भोग-आरती, पूजन-अनुष्ठान के विधान किए जाते हैं। दूसरा ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा आठ नवंबर को खग्रास चंद्रग्रहण भारत में ग्रस्तोदित चंद्रग्रहण के रूप में देखा जाएगा।