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क्या है कर्ण कवच सिस्टम? जो तैयार करेगा भारत का फ्यूचर सोल्जर, जिसे भेद पाना दुश्मन के लिए नहीं होगा मुमकिन,पढ़े डिटेल ।
एजेंसी डेस्क : नई दिल्ली,, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिफेंस एक्सपो में जिस कर्ण कवच सिस्टम का रिव्यू किया, वो भारत के फ्यूचर सोल्जर यानी भविष्य के सैनिकों की सुरक्षा ढाल होगी. कर्ण की तरह घातक हथियार होंगे.कवच होगा. रात में, अंधेरे में, धुंध में देखने के लिए खास तरह के यंत्र होंगे. इस कर्ण कवच में सबसे खास बात है सुरक्षा और हमला करने के लिए घातक हथियार. असॉल्ट राइफलों में होलोग्राफिक और रिफलेक्स साइट्स होंगी, जो हेलमेट पर लगे दूरबीन के साथ जुड़ी होंगी. यानी जवान 360 डिग्री में कहीं भी देख सकता है.
कर्ण कवच सिस्टम में मल्टी मोड हैंड ग्रैनेड लैस होंगे. यानी ये ग्रैनेड भी स्वदेशी कंपनी से लिए जाएंगे. संचार के लिए स्विच एमपीआरए कम्यूनिकेशन सिस्टम होगा. जो छोटी दूरी के लिए मैसेज भेजने का काम करेगा.
आइए सबसे पहले जानते हैं कि इसमें किस-किस तरह की प्रणालियां और हथियार लगे हैं.
स्वदेशी असॉल्ट राइफल AK-203... एके-203 असॉल्ट राइफल एके सीरीज की अत्याधुनिक घातक राइफल है. इसे इंडो-रसिया राइफल्स प्रा. लिमि. (IRRPL) बना रही है. एके-203 इंसास से ज्यादा घातक और चलाने में आसान है. यह छोटी, हल्की और घातक है. AK-203 का वजन 3.8 KG है. एके-203 705 मिमी लंबी है. वजन और लंबाई कम होने पर राइफल को लंबे समय तक ढोया जा सकता है. इससे जवान थकते कम हैं. हैंडलिंग आसान होती है.
एके-203 में 7.62x39mm की बुलेट्स लगती हैं, जो ज्यादा घातक होती हैं. इसकी रेंज 800 मीटर है. यानी काफी दूर से दुश्मन को ढेर कर सकते हैं. AK-203 सेमी-ऑटोमैटिक या ऑटोमैटिक मोड में चलती है. यह एक मिनट में 600 गोलियां दागती है. इसमें 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है. यह गैस ऑपरेटेड, रोटेटिंग बोल्ट तकनीक पर काम करती हैं. AK-203 पर एडजस्टबल आयरन साइट है, इसके अलावा पिकैटिनी रेल लगी है, यानी आप दुनिया के किसी भी तरह के दूरबीन या माउंट को इस बंदूक पर लगा सकते हैं. यानी जितना ताकतवर माउंट उतना घातक हमला.
सिग-716i सेमी ऑटोमैटिक राइफल... सिग-सॉर 716आई सेमी-ऑटोमैटिक राइफल है. इसमें 7.62x51mm की गोलियां लगती है. यानी एके-203 राइफल की गोलियों जैसी घातक बुलेट्स. ये राइफल 2020 में दुनिया दस सर्वश्रेष्ठ AR-10 राइफल्स की सूची में थी. इसमें शॉर्ट स्ट्रोक पिस्टन और रोटेटिंग बोल्ट तकनीक है. इसकी फायरिंग रेंज 500 मीटर है. इसमें 10, 20, 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है. एके-203 की तरह ही उसमें आयरन साइट्स लगाए जा सकते हैं. इसमें भी पिकैटिनी रेल लगी है यानी दुनिया के किसी भी तरह के दूरबीन या माउंट लगाए जा सकते हैं.
आईडब्ल्यू एनजी-7 जीपीएमजी... यह एक हल्की मशीन गन है. दुनिया की भरोसेमंद मशीन गनों में से एक. इसे इजरायल ने बनाया है. 1997 से लगातार इस्तेमाल हो रही है. इसमें ड्रम मैगजीन लगती है. यह एक मिनट में 700 गोलियां दागती है. गोलियां दुश्मन की तरह 860 मीटर प्रति सेकेंड की गति से चलती हैं. इसकी रेंज 1200 मीटर है. यानी सवा किलोमीटर तक इसकी गोलियां दुश्मन के चीथड़े उड़ा सकती हैं. इसमें 100-125 राउंड की बेल्ट भी लगाई जा सकती है. पिकैटिनी रेल लगी है यानी किसी भी तरह का माउंट लगाया जा सकता है.
एमकेयू एसीएच बुलेट प्रूफ हेलमेट... यह एक खास तरह का बुलेटप्रूफ हेलमेट हैं. जिसका वजन 1 से डेढ़ किलो तक होता है. यानी सिर के आकार के हिसाब से हेलमेट की साइज और वजन. इस पर .45 कैलिबर की गोलियां, 357 सिग एफएमजे एफएन, 44 मैग्नम, 9 मिमी एफएमजे जैसी पिस्टल और राइफलों की गोलियां असर नहीं करेंगी. इसके अलावा बमों के फटने, मोर्टार के छर्रों या फिर किसी भी तरह के तीव्र गति वाले टुकड़ों से बचाएगी.
एसएमपीपी बीआरजे बुलेट प्रूफ जैकेट... यह स्वदेशी बुलेटप्रूफ जैकेट है, जिसका वजन 9 किलोग्राम है. इस जैकेट से सैनिक की गर्दन, सीना, शरीर का साइड का हिस्सा और ग्रोइन बचा रहेगा. यह खास तरह के बैलिस्टिक मटेरियल से बनाया गया है. इसे बनाया है एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड ने लेकिन डिजाइन किया था डीआरडीओ ने. इसके सामने और पीछे के हिस्से में हार्ड आर्मर पैनल लगा है, जिसकी वजह से दुनिया के कई असॉल्ट राइफल्स की गोलियां असर नहीं करेंगी. इसके लिए कई नई तकनीकों से बनाए गए पदार्थों को उपयोग किया गया है.
आईआरडीई बीईएल लेज़र डैजलर... यह एक खास तरह का लेजर है, जो इशारा करने, रेस्क्यू ऑपरेशन और हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यह 20 लाइट एम्प्लिफिकेशन की ताकत वाला लेजर है. यानी कई किलोमीटर तक इसकी रेंज है. इसे चेतावनी देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही लेजर गाइडेड मिसाइलों या बमों को दागने के लिए लेजर डाली जा सकती है.