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वाराणसी : यह शरीर किराए का मकान, खाली तो करना ही होगा : बाबा उमाकांत (जय गुरुदेव उत्तराधिकारी)

वाराणसी : यह शरीर किराए का मकान, खाली तो करना ही होगा : बाबा उमाकांत (जय गुरुदेव उत्तराधिकारी)


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एजेंसी डेस्क

वाराणसी। यह मनुष्य शरीर किराये का मकान है। सांसों की पूंजी खत्म होने पर सबको एक दिन खाली करना पड़ेगा। यह देव दुर्लभ अनमोल मनुष्य शरीर केवल खाने-पीने, मौज-मस्ती करने के लिए नहीं मिला।

मनुष्य शरीर का असली उद्देश्य जीते जी प्रभु को पाना है। श्मशान घाट पर शरीर को मुक्ति मिलती है आत्मा को नहीं। मौत को हमेशा याद रखो क्योंकि एक दिन सब की आती है। मरने के बाद जो काम आवे वह काम करना।

ये बातें जय गुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बाबा उमाकांत ने शनिवार 8 अक्टूबर को वाराणसी में शुरू हुए दो दिवसीय समागम के प्रवचन सत्र में कहीं। उन्होंने कहा कि पैदा होने से पहले जो मां के स्तन में दूध भरता है, उस मालिक पर भरोसा करो। पेट के लिए ईमान और धर्म मत बेचो। 

भगवान को हमेशा हाजिर नाजिर समझो, जो भी कर्म करते हो, वह देख रहा है। बुरा करने पर सजा मिल जाती है और नरक में जाना पड़ जाता है। जीवन का जो समय बचा है उससे अपनी आत्मा को जगा लो। शरीर में रहते रहते भगवान से मिला जा सकता है। मरने के बाद किसी को भी भगवान न तो मिला और न मिलेगा। आत्मा को मुक्ति परमात्मा के पास पहुंच जाने पर मिलती है जो केवल समर्थ गुरु ही दिला सकते हैं। 

कोटि जन्मों के पुण्य जब इकट्ठा होते हैं तब सन्त दर्शन, सतसंग और नामदान का लाभ मिलता है। सन्त-सतगुरु किसी दाढ़ी, बाल या वेशभूषा का नाम नहीं होता। शिव नेत्र सबके पास है। सन्तों की दया से अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

सन्त के दर्शन, सतसंग व नामदान लेकर उनके बताए रास्ते पर चलने से लोक-परलोक बनता, समस्याओं का समाधान होता है। महात्माओं के दरबार में जाति-पाती ऊंच-नीच के भेदभाव को कोई स्थान नहीं दिया जाता है।

पहले जानकारी न होने से लोग प्रभु प्राप्ति के लिए अष्टांगयोग, हठयोग, कुंडलियों को जगाते, शरीर को तपाते-गलाते, इस समय यह सब करने की जरूरत नहीं। बहुत खराब समय आ रहा है, बचत का रास्ता ले लीजिए। इस समय कलयुग में सीधा सरल प्रभु प्राप्ति का रास्ता पांच नाम के नामदान का है जो आदि से चला आ रहा और अंत तक रहेगा। 

सन्तमत की साधना सभी लोगों के लिए सरल है। नाम की कमाई करो। इसी से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार की ज्वाला बुझेगी। इतिहास साक्षी है, युग परिवर्तन के समय महापुरुषों की बात न मानने पर बहुत से लोगों की जान चली गई। 

कलयुग में ही सतयुग आने का समय हो रहा है इसलिए लोगों को नशामुक्त, शाकाहारी, सदाचारी बनाओ जिससे खराब समय से बच जाय और सतयुग को अपनी आंखों से देख लें।

कई देशों से आए हैं लोग

लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में लगे कैम्प में यूएई, यूएसए, मॉरीशस समेत 8 देशों के अनुयायी नामदान दीक्षा समागम में भाग ले रहे हैं। 

वहीं राजस्थान, मप्र., उप्र., छत्तीसगढ़, प. बंगाल, महाराष्ट्र, हिमालय प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक प्रान्त से 50 हजार से अधिक अनुयायियों का आना हुआ है। 

आयोजन स्थल पर भक्तों की सुविधा के लिए 600 से अधिक शौचालय बनाए गए हैं। 

विभिन्न प्रान्तों से आये भक्तों के सहयोग से एक दर्जन भंडारों का संचालन नियमित रूप से आयोजन स्थल पर हो रहा है।