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वाराणसी में महापर्व छठ से पहले बढ़ी टेंशन, घाटों पर गाद और सीढ़ियों पर पानी, कैसे होगा त्योहार?

वाराणसी में महापर्व छठ से पहले बढ़ी टेंशन, घाटों पर गाद और सीढ़ियों पर पानी, कैसे होगा त्योहार?



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एजेंसी डेस्क : वाराणसी में गंगा के जलस्तर में घटाव शुरू हो गया है।48 घंटे से जलस्तर में गिरावट से तटवर्ती इलाकों में रहने वालों के चेहरे पर चिंता की लकीरें कम हुई हैं। हालांकि गंगा के बढे़ जलस्तर ने घाटों पर आयोजित होने वाले धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन डाला छठ के व्रतियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

घाट पर भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो गई है। डाला छठ का पहला अर्घ्य 30 अक्तूबर को दिया जाएगा। ऐसे में सिर्फ 13 दिन बचे हैं। अब पानी उतरने के बाद घाटों से सिल्ट हटाना नगर निगम के लिए चुनौती होगी। डाला छठ पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा तट पर अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

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इस बार घाट का ज्यादातर हिस्सा या तो पानी में डूबा है या फिर सिल्ट से अटा पड़ा है। ऐसे में घाट किनारे गंगा में अर्घ्य देना व्रतियों के लिए मुश्किल होगा। अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार का कहना है कि तय समय पर घाटों की सफाई करा ली जाएगी।

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भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का महापर्व छठ इस वर्ष 30 अक्तूबर को है। इस पर्व पर सामने घाट से राजघाट और गंगा के दूसरी ओर रामनगर में व्रती महिलाएं गंगा तट पर अर्घ्य देती हैं। 30 अक्तूबर को शाम और 31 अक्तूबर को सुबह का अर्घ्य अर्पित होगा। इस मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु घाटों पर जुटते हैं।

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केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा के जलस्तर में गिरावट दर्ज की जा रही है। रविवार की सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 67.44 मीटर दर्ज किया गया। गंगा में जलस्तर घटने की रफ्तार एक सेंटीमीटर प्रति घंटा है। शाम को छह बजे गंगा का जलस्तर 67.34 मीटर दर्ज किया गया।

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बलिया में गंगा खतरे के निशान 57.61 मीटर से 47 सेंटीमीटर ऊपर 58.08 मीटर पर बह रही है। केंद्रीय जल आयोग की बाढ़ बुलेटिन के अनुमान के अनुसार सोमवार को बलिया में गंगा का जलस्तर स्थिर होने की संभावनाएं हैं। प्रयागराज और फाफामऊ में भी जलस्तर धीमी रफ्तार से कम हो रहा है।