कार्तिक मास रमा एकादशी पर्व
लक्ष्मी पूजा स्पेशल : दिवाली से पहले कल एकादशी तिथि पर लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने का बन रहा है शुभ संयोग, ऐसे उठाएं लाभ,,,
एजेंसी डेस्क : (विशेष)21 अक्टूबर 2022, शुक्रवार का दिन बहुत ही शुभ है. दिवाली से पहले इस दिन लक्ष्मी जी के साथ भगवान विष्णु की पूजा का उत्तम संयोग बना है.एकादशी तिथि का महत्व,,,
एकादशी की तिथि को सभी तिथियों में शुभ माना गया है. इस दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है, जो सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी कहा जाता है.
एकादशी व्रत का वर्णन पौराणिक ग्रंथों और महाभारत की कथा में भी मिलता है. कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के महामात्य के बारे में बताया था. भीम ने भी निर्जला व्रत रखकर भगवान की आराधना की थी.
लक्ष्मी पूजा का शुभ संयोग,,,
एकादशी की तिथि जहां भगवान विष्णु को समर्पित है, वहीं शुक्रवार का दिन लक्ष्मी पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. विष्णु जी को लक्ष्मपति भी कहा जाता है. कार्तिक मास को उत्तम मास भी कहा जाता है. इसी मास में धनतेरस, दिवाली जैसे महत्वपूर्ण पर्व पड़ते है.
मान्यता है कि कार्तिक मास में जो भी सच्चे मन से लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके सभी कष्ट मिट जाते हैं, जीवन में सुख समृद्धि आती है और मान सम्मान में वृद्धि होती है. इतना ही नहीं आर्थिक संकटों से भी निजात मिलती है.एकादशी, शुक्रवार और मघा नक्षत्र का संयोग,,
पंचांग के अनुसार 21 अक्टूबर 2022 को शुक्रवार के दिन एकादशी की तिथि रहेगी. इस दिन दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक मघा नक्षत्र रहेगा, इसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र लग जाएगा. ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी शुक्र है. शुक्र का संबंध लग्जरी लाइफ, प्रेम, रोमांस, सुख सुविधाओं से भी है.
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को 11वां नक्षत्र माना गया है. इन सब चीजों को जोड़कर देखा जाए तो शुक्रवार को एकादशी तिथि पर बेहद शुभ संयोग की स्थापना हो रही है. जो पूजा पाठ और धार्मिक कार्यों के महत्व में वृद्धि कर रहा है.
लक्ष्मी पूजा शुक्रवार,,,
शुक्रवार के दिन सुबह और शाम दोनों समय में लक्ष्मी जी की पूजा कर सकते हैं. कार्तिक मास में लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि शाम के समय लक्ष्मी जी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इसी के चलते घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा है.
मान्यता है जिस घर के मुख्य दरवाजे पर दीपक जलता हुए देखती हैं उसे लक्ष्मी जी विशेष आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इस दिन लक्ष्मी जी की आरती और मंत्रों का जाप उत्तम फल प्रदान करने वाला माना गया है.
लक्ष्मी जी की आरती,,,,,
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय,लक्ष्मी नारायण की जय।
लक्ष्मी जी का मंत्र (Lakshmi Mantra)
(ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:)