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वाराणसी : 108 किलो फूलों से होगा 108 किलो की गंगा मूर्ति का श्रृंगार
एजेंसी डेस्क : काशी की गंगा आरती के वैश्वीकरण के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन दशाश्वमेध घाट स्थित गंगोत्री सेवा समिति ने आरती के इतिहास में नया अध्याय जोड़ा। काशी में सबसे पहले 31 साल पहले बाबू महाराज ने गंगा आरती कार्यक्रम आरंभ किया था।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काशी के घाट ब्राम्हणों के श्लोक के साथ ''हर-हर गंगे के महाजप से गूंज उठता है । वर्षो से चल रही परम्परा के अनुसार दशाश्वमेध घाट पर नियमित आरती करने वाली संस्था गंगोत्री सेवा समिति के तत्वावधान में गंगा महारानी का पूजन-स्तवन संग दुग्धाभिषेक इस वर्ष भी पूरे विधान से किया जाएगा।
सिंहासनारूढ़ गंगा महारानी की श्रृंगारिक प्रतिमा और उनकी अलौकिक आरती की निराली छवि निहारने को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ेगा। धार्मिंक अनुष्ठान का श्रीगणेश मंगलाचरण से होने के पश्चात समिति के संस्थापक अध्यक्ष किशोरी रमण दूबे (बाबू महाराज) के सान्निध्य में मां गंगा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन किया जाएगा। 51 लीटर दूध से अभिषेक होगा। समूचे घाट की आकर्षक सजावटी पौधों से की जाएगी।
मां गंगा की 108 किलो की अष्टधातु की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार 108 किलो फूल से किया जाएगा। कोलकाता से मंगाए विदेशी फूल संग देशी फूलो का भी समावेश इस श्रृंगार में होगा।
आयोजन में 21 बटुकों संग 42 रिद्धि सिद्धि द्वारा गंगा महाआरती होगी। इस उत्सव् को यादगार बनाने के लिए गायको के संयोजन में सांस्कृतिक आयोजन का आयोजन भी किया गया है।
आयोजन के अंत में राज्य पुलिस और पीएसी के शहीद हुए जवानों की याद में अश्विन पूर्णिमा से जल रही आकाशदीप का समापन किया जाएगा।