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28 लाख के चूहे, चार लाख के खरगोश निगल गए कानपुर जू के सांप-अजगर, शेर-बाघ ने खाया 1.5 करोड़ का मीट
एजेंसी डेस्क : कानपुर प्रतिनिधि, (सूरज केसरवानी), कानपुर चिड़ियाघर के सांप और अजगर खाने के मामले में बहुत तेज हैं। सुनकर हैरत होगी कि सालभर में दावत के नाम पर ये 32 लाख रुपये खर्च करा बैठे, इनमें 28 लाख के चूहे तो चार लाख के खरगोश हैं।सरीसृप गृह में शीशे के केबिन में कैद ये सांप-अजगर रविवार की हर शाम जमकर दावत उड़ाते हैं। खाने के रूप में इनके सामने पंसदीदा भोजन चूहे और खरगोश रखे जाते हैं। जू के पीआरओ विश्वजीत तोमर के मुताबिक रविवार शाम को चूहे और खरगोश भोजन के रूप में इनके सामने परोसे जाते हैं। शिकार को पचाने में उन्हें काफी समय लगता है। सोमवार को चिड़ियाघर बंद रहता है, ऐसे में मंगलवार सुबह इन को उनके बाड़े में छोड़ा जाता है।
डेढ़ करोड का मीट खाते हैं शेर और बाघ,,,,,
चिड़ियाघर में करीब सवा सौ प्रजातियों के वन्यजीव और पशु पक्षी हैं, जिनमें से ज्यादातर वन्यजीव और पक्षी शाकाहारी हैं। इसके बावजूद मांसाहारियों की खुराक पर आने वाला खर्च उनकी खुराक के खर्च का करीब तीन गुना है। यहां पांच शेर, 18 तेंदुए और 9 बाघ हैं जिनको रोजाना मीट परोसा जाता है। इन विडालवंशियों का पेट भरने के लिए चिड़ियाघर प्रबंधन सालभर में करीब 1.48 करोड़ रुपये का मीट खरीदता है। इसी में से लकड़बग्घा, गीदड़ और कठूमर को मीट दिया जाता है।
पत्तागोभी की एक माह में 1.5 टन की खपत,,,,,
हिरणों की प्रजातियां या बंदर की हों, इन सभी शाकाहारी जानवरों को पत्तागोभी सबसे ज्यादा भाती है। वह एक माह में करीब 1.5 टन पत्तागोभी खा जाते हैं। इसी तरह इन वन्यजीवों को पालक भी काफी पसंद है। वह एक साल में करीब 47 कुंतल पालक खा जाते हैं। यह सबसे ज्यादा एमू को प्रिय है। यहां के नटखट बंदरों ने एक साल के भीतर 11 लाख के रसीले और मौसमी फलों का स्वाद लिया है। साथ ही उन्होंने 5.17 लाख के चने भी चबाए हैं। मैकाउ और बजरीगर जैसे तोते साल भर में सवा क्विंटल मिर्च खा गए हैं।
जानवरों को हर सीजन चेंज पर मल्टी विटामिन,,,,,
चिड़ियाघर में जानवरों के इलाज पर एक साल में करीब 6.50 लाख रुपये का खर्च आता है। इसके पीछे खास वजह है कि यहां इन जीवों को हर मौसम के हिसाब से मल्टी विटामिन और कैल्शियम की दवाएं दी जाती रहती हैं। पशुचिकित्सक डॉ.अनुराग सिंह, डॉ.नासिर और डॉ.नितेश कटियार के मुताबिक ज्यादातर जानवर स्वस्थ हैं। हालांकि कई बार आपसी लडाई में हिरण घायल हो जाते हैं।