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40 कुंतल धान की बालियों से सजा मां अन्नपूर्णा का दरबार, सत्रह दिवसीय महाव्रत का हुआ समापन आज से बटेगी मां अन्नपूर्णा का धान रूप में प्रसाद,,,।

40 कुंतल धान की बालियों से सजा मां अन्नपूर्णा का दरबार, सत्रह दिवसीय महाव्रत का हुआ समापन आज से बटेगी मां अन्नपूर्णा का धान रूप में प्रसाद,,,।


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एजेंसी डेस्क :(ब्यूरो),वाराणसी,40 कुंतल धान की बालियों से मंगलवार को अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा का दरबार सजाया गया। इसके साथ ही माता के सत्रह दिन के व्रत का समापन भी हुआ। 

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पूर्वांचल के किसानों ने मां अन्नपूर्णा को धान की पहली फसल अर्पित की।अन्न की देवी भगवती अन्नपूर्णा का मंगलवार को मध्याह्न भोग आरती के बाद गर्भगृह में शृंगार हुआ। एक दिन पहले ही पूरे मंदिर परिसर को सजाया गया। 

13 नवंबर से शुरू महाव्रत का समापन मंगलवार को हुआ। उद्यापन के लिए भक्तों का ताता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने 21, 51, 101 और 501 परिक्रमा कर हाजिरी लगाई। 

मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए सुबह से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रही। महंत शंकरपुरी ने बताया कि माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी हैं। 

पूर्वांचल के किसान पहली फसल मां को अर्पित करते हैं। इन्हीं बालियों से माता का शृंगार किया गया। मान्यता है कि माता को पहली फसल अर्पित करने से धन्य धान्य की कमी नहीं होती। शृंगार में लगे इन धान की बालियों को प्रसाद स्वरूप भक्तों को दिया जाता है। 

मान्यता है कि धान के इन बालियों को घर के अन्न भंडार में रखने से कभी अन्न की कमी नहीं होती है। 

बाबा विश्वनाथ ने भी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। माता का ही आशीर्वाद है कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोता है। 

आज बुधवार सुबह से ही माता अन्नपूर्णा मंदिर में भक्तजनों का ताता प्रसाद रूप में धान की बाली पाने के लिए लगा रहा। पुरुषों और महिलाओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं। 

मान्यता है कि घर में माता अन्नपूर्णा का प्रसाद रूप धान की बाली रखने से अन्न धन की कमी कभी नहीं होती है। बाबा काशी विश्वनाथ ने माता अन्नपूर्णा से ऐसा वरदान भिक्षा में मांगा था।