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काशी तमिल संगमम्: एक ही स्थान पर करें दक्षिण और उत्तर भारत के 90 प्रमुख मंदिरों का दर्शन।

काशी तमिल संगमम्: एक ही स्थान पर करें दक्षिण और उत्तर भारत के 90 प्रमुख मंदिरों का दर्शन।



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एजेंसी डेस्क : वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर ग्राउंड में चल रहे काशी तमिल संगमम् में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र वाराणसी द्वारा काशी और तमिलनाडु के 90 प्राचीन मंदिरों और देवी-देवताओं के मूर्तियों की एग्जीबिशन लगाई गई है।इसमें वाराणसी के 29 और 61 मंदिर तमिलनाडु के हैं। एग्जीबिशन में तमिलनाडु के मंदिरों की भव्यता और आर्किटेक्चर देखते ही बन रहा है। वहीं, काशी की दुर्लभ देव मूर्तियां लोगों को आकर्षित कर रहा हैं। 

एक स्थान पर करें काशी के 29 मंदिरों का भव्य और सजीव दर्शन,,,,, 

1. काशी विश्वनाथ मंदिर,,,

2. करपात्रीजी महाराज,मीरघाट वाराणसी,,,

3. शिवलिंग शारंगदेव सारनाथ मंदिर,,,

4. बाबा कीनाराम समाधि स्थल, 

5. आदि शंकराचार्य एवं शारदा देवी केदारघाट,,, 

6. कोटि लिंग जंगमबाडी मठ रविन्द्रपुरी, वाराणसी,,,

7. कैलाश मण्डप,,, 

8. मूल गद्दी राधा सम्प्रदाय कबीर चौरा वाराणसी,,,

9. मोक्ष मंदिर गडिया मठ सोनारपुरा वाराणसी,,,

10. मुख्य वन राधास्वामी सम्प्रदाय वाराणसी,,,

11. संकर्षण काशी मठ ,वाराणसी,,,

12. बिंदु माधव पंचगंगाघाट वाराणसी,,,

13. कृष्ण राधा ललिता मंदिर पांडे घाट बनारस,,,

14. विश्वनाथ मंदिर परिसर में खुदाई से प्राप्त शिव मूर्तियां 19वीं शती की,,,

15. चतुर्भुज विष्णु द्वारिकाधीश मंदिर संकुल धारा खोजवा 12 वीं शती की,,,

16.लक्ष्मी नरसिंह मूर्ति हनुमान मंदिर शीतला घाट,,,

17.शेषशायी विष्णु ब्रह्मा घाट 13-14 वीं शती,,, 

18.चतुर्भुज विष्णु कर्दमेश्वर मंदिर कंदवा,,, 

19.ब्रह्मा कर्दमेश्वर मंदिर कंदवा,,,

20.कार्तिकेय सारनाथ संग्रहालय 14वीं शती की,,, 

21.महाप्रमाण अंधकारी मूर्ति सारनाथ संग्रहालय 12 वीं,,, 

22.कार्तिकेय भारत कला भवन चौथी शती की,,, 

23.मुख्य शिवलिंग जंगमबाड़ी मठ रविंद्रपुरी,,,

24.केदारेश्वर लिंग केदार घाट बनारस,,,

25.चतुर्मुख शिवलिंग आदि केशव घाट,,,

26.उमा महेश्वर सारनाथ संग्रहालय,,,

27.सहस्त्र शिवलिंग त्रिलोचन राजघाट,,,

28.गौरी कामदा भारत कला भवन बनारस,,,

29.नवग्रह भट्ट, गणेश,लक्ष्मी, सरस्वती सहित 11वी शती की,,,

90 छायाचित्र में से 61 छायाचित्र तमिलनाडु के और 29 काशी के,,

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी सुभाष चंद यादव ने बताया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा यह प्रदर्शनी लगाई गई है। 

जिसमें तमिलनाडु और काशी दोनों जगहों के प्रसिद्ध मंदिरों का छायाचित्र लगाया गया है। कुल 90 छायाचित्र प्रदर्शित किए गया हैं। जिसमें लगभग 61 छायाचित्र तमिलनाडु के और 29 काशी के हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि काशी और तमिलनाडु का बड़ा ही गहरा नाता रहा है। और उस संबंध के केंद्र में भगवान शिव हैं। 

काशी भगवान शिव की सबसे प्यारी नगरियों में से एक है, तमिलनाडु के भी अधिकतर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इन दोनों जगहों के मंदिरों का छायाचित्र यहां लगाया गया है। काशी तमिल संगमम् के सर्वाधिक केंद्र में उन्होंने मंदिरों के आकृति को लेकर बताया कि दोनों तरफ दो तरह के मंदिर बनते हैं दक्षिण भारत के जो मंदिर है वह मूल रूप से द्रविड़ परंपरा के हैं जिन्हें द्रविड़ शैली कहा जाता है। 

और उत्तर भारत के जो मंदिर हैं वह नागर शैली के मंदिर हैं। नागर शैली के मंदिरों में विशेषता होती है कि उनका जो गर्भ गृह के ऊपर का शिखर होता है वह सबसे महत्वपूर्ण और विशाल होता है । 

जबकि द्रविड़ संस्कृति के मंदिरों में द्रविड़ शैली के मंदिरों की विशेषता होती है कि उनका प्रवेश द्वार सबसे विशाल होता है और उसमें एक खास प्रकार की नक्काशी होती है। उन्होंने कहा कि देवता एक ही है लेकिन अस्थान भिन्नता के कारण जो निर्माण शैली है वह दोनों की अलग-अलग है। 

इस संगमम् में सबसे महत्वपूर्ण बात है एक ही देवता को समर्पित मंदिर कैसे-कैसे क्षेत्रीय विविधता के कारण अलग-अलग बनते हैं और उनका एक अपना अलग संस्कार है। वह देखने को मिल रहा हैं।