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लिव इन रिलेशन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- बालिगों को पसंद का जीवनसाथी चुनने और साथ रहने का अधिकार।

लिव इन रिलेशन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- बालिगों को पसंद का जीवनसाथी चुनने और साथ रहने का अधिकार।



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एजेंसी विधि डेस्क, (प्रयागराज ब्यूरो)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी गई है। बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से साथ रहने का संवैधानिक अधिकार है।

उनके जीवन में किसी प्राधिकारी या व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे याचियों के खिलाफ बलिया के नरही थाने में दर्ज प्राथमिकी रद कर दी है।

बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से एक साथ रहने का संवैधानिक अधिकार,,,,,

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने आकाश राजभर व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के शाफिन जहां बनाम अशोकन के एम तथा अन्य केस के फैसले के अनुसार दर्ज प्राथमिकी रद करने की मांग की गई थी। 

खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हवाले से कहा, किसी की भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता बिना कानूनी प्राधिकार के छीनी नहीं जा सकती। बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से एक साथ रहने का संवैधानिक अधिकार है।

बालिगों को पसंद का जीवनसाथी चुनने और साथ रहने का अधिकार,,,,,

सरकार का दायित्व है कि वह उनके इस अधिकार की सुरक्षा करें। बालिगों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने और साथ रहने का अधिकार है। उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।